मनुष्य का स्वाभाव शुरू से ही जिज्ञाशु प्रवृति का रहा है। युगो युगो से मानव अपने आस – पास फैले प्रकृति के रहस्यों को सुलझाने में जुटा है। ब्रह्माण्ड और उसमें समाये अनगिनत ग्रहो में पृथ्वी जैसे जीवन की संभावना की तलाश में दुनिया के कई वैज्ञानिक शोध कर रहे है।
इसी क्रम में अमेरिका अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र नासा द्वारा भेजा गया पर्सीवेरेस रोवर तक़रीबन सात माह की यात्रा के बाद मंगल ग्रह की सतह पर उतारा गया।
मानव इतिहास की दृष्टि से यह अभियान ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है। नासा स्पेस एजेंसी द्वारा संचालित इस अभियान का मकसद मंगल ग्रह में जीवन की संभावना तलाशना है।अब तक का सबसे बड़ा पर्सीवेरेस नामक यह रोवर लाल ग्रह से वहां की चट्टानों के नमूने को पृथ्वी पर लाने का प्रयास करेगा। जिससे वैज्ञानिको को पूर्व में मंगल ग्रह में जीवन की खोज में सहायता प्राप्त होगी।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार पर्सीवेरेस रोवर ने लगभग 473 मिलियन किलोमीटर की दूरी 203 दिन में तय करने के बाद भारतीय समयनुसार प्रातः दो बजकर 25 मिनट में मंगल ग्रह में मौजूद विशालकाय गड्ढे जेजेरो क्रेटर में सुरक्षित लैंडिंग की। नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस अवसर पर ख़ुशी व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से नासा के वैज्ञानिको को शुभकामना दी।
मंगल ग्रह पर शोध कर रहे वैज्ञानियो का मत है,कि अगर लाल ग्रह में कभी जीवन रहा होगा तो वह तक़रीबन आज से चार – पांच अरब वर्ष पूर्व रहा होगा। जब उस समय मंगल की भूमि पर जल की धारा बहती होगी। फिलहाल अब यह निष्कर्ष जांच के बाद ही निकलेगा कि मंगल ग्रह पर कभी जीवन था या नहीं।
मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतो कि तलाश में चलाये गए नासा के इस अभियान में भारतीय मूल की विज्ञानी स्वाति मोहन द्वारा रोवर के सतह पर लैंडिंग,नेविगेशन और कंट्रोल का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। डॉ स्वाति मोहन नासा स्पेस एजेंसी में अमेरिकी वैज्ञानिक है। जिन्होंने कोर्नेल यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के साथ ही एयरोनॉटिक्स में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। मात्र एक वर्ष की आयु में डॉ स्वाति मोहन भारत से अपने परिजनों के साथ अमेरिका चली गयी थी।