हरी मिर्च का उपयोग भारतीय भोजन में अधिकतर सहायक सामग्री के रूप में किया जाता है। ज्यादातर भारतीय भोजन को बिना हरी मिर्च के अधूरा माना जाता है। हरी मिर्च का वैज्ञानिक नाम हरी मिर्च केप्सीकम एनम एल (Capsicum annum L) एवं हरी मिर्च में कैप्साइसिन नामक तत्व पाया जाता है। हरी मिर्च में विटामिन-सी, विटामिन-ए, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे जरुरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारतीय भोजन की पहचान बन चुकी हरी मिर्च को हिन्दुस्तान में पुर्तगाली 13वीं और 14वीं शताब्दी के मध्य लाए थे।
हरी मिर्च का सेवन हमारे शरीर को कई प्रकार के रोगो से लड़ने में सहायता करता है। हरी मिर्च का सेवन भारतीय भोजन में सलाद के रूप में किया जाता है। हृदय रोग एवं मधुमहे के रोगियों के लिए भी हरी मिर्च का उपयोग लाभकारी हो सकता है। हरी मिर्च में पाए जाने वाला तत्व कैप्साइसिन हृदय को सुरक्षा प्रदान करने में सहायक हो सकता है। मिर्च में एमिनो अम्ल , फोलिक अम्ल , ग्लिसरिक अम्ल , सिट्रिक अम्ल, मैलिक अम्ल और एस्कोर्बिक अम्ल जैसे कई जरुरी तत्व भी होते है जो हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होते है।
हरी मिर्च का उपयोग भारतीय भोजन में आचार के रूप में भी किया जाता है। हरी मिर्च, पुदीना और हरे धनिया को एक साथ पीस कर चटनी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। रोजाना एक मिर्च का सेवन शरीर के रोगो से लड़ने की क्षमता को मजबूती प्रदान करने के साथ ही शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाता है। सर्दी जुकाम में मिर्च के सेवन से बंद नाक खुलने में सहायता मिलती है। हरी मिर्च में एंटी ऑक्ससिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर की आंतरिक सफाई के साथ फ्री रेडिकल से सुरक्षित करते हुए कैंसर जैसे घातक रोग से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है।
इतिहासकारो के अनुसार भारतीय खाने में रच बस गयी हरी मिर्च का उपयोग सबसे पहले तकरीबन सात हजार ईसा पूर्व मैक्सिको में हुआ था।
हरी मिर्च का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। हरी मिर्च की तासीर गर्म होती है और यह शरीर का ताप बड़ा सकता है। इसलिए यह सर्दी जुकाम में प्रयोग करने पर लाभ प्रदान करती है। आँखों की रोशनी बेहतर करने से लेकर शरीर का वजन नियंत्रित करने में हरी मिर्च सहायक है। कुल मिलकर हरी मिर्च का सेवन शरीर के लिए तभी लाभदायक है जब इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाये।