![](https://www.rastradhwani.com/wp-content/uploads/2021/10/uttarakhand.jpg)
बाहरी राज्यों से देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) में आकर निवास करने वाले लोगों से जुड़े दस्तावेज में अब महज सामान्य विवरण देने के बजाय अब दुकानदारों, मकान मालिकों इत्यादि मामले में भवन स्वामियों को उनके भवनों को किराये पर लेने और कार्य करने वालों के दस्तावेज के अलावा शपथपत्र भी प्रस्तुत करना होगा। इस नए पुलिस एक्ट की विभिन्न धाराओं में संशोधन करने के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रस्ताव प्रशासन को भेज दिया गया है।
उल्लेखनीय है, कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा भी बाहरी प्रदेशो से आकर बसने वालों पर कड़ी नजर रखने के आदेश दिए थे। न्यूज मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते कुछ सालो से देवभूमि उत्तराखंड के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील क्षेत्रों में बाहर से आए लोगो द्वारा अवैध कब्जे की खबर सामने आ रही है। इस पूरे प्रकरण में एक विशेष समुदाय द्वारा किये जा रहे। अतिक्रमण और अवैध कब्जे के परिणामस्वरुप क्षेत्रीय असंतुलन का खतरा भी उत्तराखंड में विकराल रूप धारण करता जा रहा है।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस मुख्यालय के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस जरुरी संसोधन के लिए पुलिस एक्ट की धारा 87 के अंतर्गत धारा 53 (3) के संबंध में नए नियम बनाए जाने की तैयारी चल रही है। नए नियमो के अनुसार, भवन स्वामी अथवा दुकान किराये पर देने वाले व्यक्ति को ‘सार्वजनिक परिसर के स्वामी प्रारूप’ के अंतर्गत बाहरी राज्यों से आए लोगों का ब्योरा तो देना ही होगा।
इसके साथ उनके दस्तावेज के सत्यापन के लिए विवरण के साथ ही इसके संबंध में एक शपथपत्र भी प्रस्तुत करना होगा। इसके अलावा भवन स्वामी को किराएदार एवं मजदूरों के माध्यम से आई सम्पूर्ण जानकारी क्षेत्रीय कोतवाली व थाने में उपलब्ध करानी होगी। हालाँकि घूमने आये यात्रियों और पर्यटकों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
गौरतलब है, कि कुछ दिनों पहले उत्तराखंड सरकार द्वारा बाहरी राज्यों से आये विशेष समुदाय के लोगो द्वारा संचालित की जा रही अवैध गतिविधियों के मद्देनजर चिंता जाहिर की गयी थी। इसी के मद्देनजर पुलिस द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सत्यापन अभियान चलाए जा रहे है, ताकि संदिग्ध लोगों पर नजर रखकर कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
वर्तमान व्यवस्था में पुलिस एक्ट की धारा 53 (3) के अनुसार, भवन स्वामी को उनके यहां रहने वाले किराएदारों, मजदूरों आदि का विवरण तय फार्मेट में पुलिस के समक्ष प्रस्तुत करना होता है, और यही प्रक्रिया सत्यापन का आधार बनती है।
इसी ब्यौरे के आधार पर किराएदार और मजदूरों से संबंधित जानकारी को क्षेत्रीय थाना – कोतवाली में सत्यापन कराया जाता है, लेकिन अब पुलिस मुख्यालय द्वारा सतयापन प्रक्रिया को और अधिक सख्त बनाने का प्रताव प्रशासन को भेजा है । जानकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया के संबंध में जनपदों में एक निगरानी समिति के गठन करने के निर्देश भी दिए गए है।