
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, (चित्र साभार : @pushkardhami) फाइल चित्र
हरिद्वार के बहुचर्चित जमीन घोटाले में धामी सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए दो आईएस और एक पीसीएस अफसर समेत कुल 12 लोगों को सस्पेंड कर सख्त संदेश दिया है। बता दें, कि मामले की जांच के दौरान सामने आया था, कि भूमि खरीद में इन अधिकारियों द्वारा अनदेखी और घोर लापरवाही बरती गई थी। अब इस जमीन घोटाले की जाँच विजिलेंस करेगी।
दरअसल, मामला जनपद हरिद्वार में 2 हेक्टेयर से ज्यादा की जमीन 54 करोड़ में खरीदने से जुड़ा हुआ है, जिसकी बाजार में कीमत 15 करोड़ बताई जा रही है। इस अनुपयुक्त और बेकार भूमि को हरिद्वार नगर निगम ने अत्यधिक दाम में खरीदा था। जांच में सामने आया, कि वर्तमान में इस भूमि को खरीदने की कोई तात्कालिक जरुरत नहीं थी, न ही खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई।
भूमि खरीद घोटाले में शहरी विकास विभाग ने प्रारंभिक जांच के लिए आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जांच के दौरान सामने आया, कि उक्त प्रकरण में शासन के नियमों को दरकिनार कर इस जमीन घोटाले को अंजाम दिया गया।
In the Haridwar land scam, the Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami's government has taken major action and suspended two senior IAS officers and one PCS officer in the land scam. A departmental inquiry will be initiated against these officers. A total of twelve people…
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 3, 2025
जांच में हरिद्वार के डीएम कर्मेंद्र सिंह जो नगर निगम के प्रशासक भी थे, उनको अपने दायित्वों की अनदेखी करने, प्रशासक के रूप में भूमि खरीद की मंजूरी देते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने और शासनादेशों की अनदेखी करने, नगर निगम के हितों को ध्यान में नहीं रखने व नगर निगम अधिनियम 1959 की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया।
जांच के बाद रिपोर्ट मिलते ही प्रदेश सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया। साथ ही वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगों राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास, और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की को भी निलंबित किया गया है।
हरिद्वार भूमि खरीद घोटाले में अब तक कुल 12 अफसरों पर एक्शन लिया गया है। इनमें से 10 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया हैं। एक संपत्ति लिपिक का सेवा विस्तार समाप्त किया गया है, जबकि प्रभारी सहायक नगर आयुक्त की सेवा समाप्त कर दी गई है। वहीं हरिद्वार डीएम पद से सस्पेंड आईएएस कर्मेंद्र सिंह को फिलहाल निलंबन अवधि में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता विभाग उत्तराखंड शासन के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के पहले चरण में 1 मई को नगर निगम आयुक्त की आख्या में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितता मिलने पर 5 अफसरों जिनमें अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट, सहायक अभियंता आनंद सिंह मिश्रवान को सस्पेंड किया गया था। इसी क्रम आज 3 जून को दो आईएएस और एक पीसीएस समेत 7 अफसरों के निलंबन के साथ ही निलंबित अफसरों की संख्या 10 तक पहुंच गई है।
उल्लेखनीय है, कि उत्तराखंड में संभवतः पहली बार ऐसा हुआ है, कि प्रदेश सरकार ने अपने ही सिस्टम में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों पर इस प्रकार की सख्त कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिए गए सख्त फैसले ने उत्तराखंड की प्रशासनिक और राजनीतिक संस्कृति में एक निर्णायक बदलाव के संकेत दिए है।