
शिमला समझौता, (चित्र साभार- aajtak/NDTV)
पूरा देश इस समय पहलगाम आतंकी हमले को लेकर आक्रोश में है। आतंकवाद का निरंतर करने समर्थन करने वाले दहशतगर्द मुल्क पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने सिंधु जल समझौता स्थगित करने, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने, पाकिस्तानियों की तत्काल देश छोड़ने समेत पाँच कठोर फैसले लिए है।
पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए भयानक आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा लिए गए फैसलों से बौखलाये पाकिस्तान भी जवाबी कार्रवाई करने के लिए फड़फड़ा रहा है। इसी क्रम में उसने आनन-फानन में शिमला समझौता रद्द करने की गीदड़ भभकी दे डाली है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अगर पाकिस्तान ऐसा कुछ करता है, तो फिर भारत भी पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा।
दरअसल, इसी शिमला समझौते का सम्मान करते हुए भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान LOC (लाइन ऑफ कन्ट्रोल) को पार नहीं किया था। हालांकि, पाकिस्तान के सैनिकों ने समझौते का उल्लंघन करते हुए भारत की सीमा में घुसकर सुरक्षित ठिकाने बना लिए थे।
बता दें, कि भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के बाद 2 जुलाई, 1972 को दोनो देशों के बीच राजनयिक संबंध और शांति स्थापित करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और पाकिस्तान के पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के जरिये भारत और पाकिस्तान ने यह सुनिश्चित किया था, दोनों देशो के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर मामले को बातचीत से सुलझाएंगे।
इस समझौते के तहत युद्ध विराम के समय स्थिति के हिसाब से कश्मीर में LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) की व्यवस्था की गई, और दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई थी। इसके साथ ही तय किया, कि नियंत्रण रेखा को लेकर कोई भी पक्ष एकतरफा बदलाव नहीं करेगा और दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ दुष्प्रचार, हिंसा और युद्ध नहीं करेंगे।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत के शिमला समझौता हमेशा नुकसानदेह ही रहा है। हालांकि अब जब पाकिस्तान शिमला समझौता रद्द करने की धमकी दे रहा है, तो इन परिस्थितियों में ऐसा करने से उसकी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ सकता है। साथ ही कश्मीर मुद्दे को भारत अपने तरीके से हल कर सकता है। इसके अलावा कई मामलों की द्विपक्षीय वार्ता के लिहाज से भारत अपना अलग और मजबूत पक्ष रख सकता है।