
पीएम मोदी न्यूयॉर्क में साइप्रस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोस अनास्तासियादेस के साथ द्विपक्षीय बैठक में (फोटो साभार : X/@PMOIndia) फाइल चित्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा में 15 से 17 जून तक आयोजित होने वाले G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। कनाडा से पहले पीएम मोदी साइप्रस जाएंगे और वापसी में क्रोएशिया से होते हुए भारत लौटेंगे। प्रधानमंत्री मोदी का यह साइप्रस दौरा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुलकर पाकिस्तान का सपोर्ट करने वाले तुर्की की हिमाकत का जवाब माना जा रहा है।
पाकिस्तान और तुर्की से तनाव के बीच पीएम मोदी का साइप्रस दौरा रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वहीं साइप्रस अगले साल (2026) यूरोपीय संघ परिषद का अध्यक्ष भी बनने वाला है, जिससे यह दौरा और भी खास हो जाता है। पीएम मोदी का यह साइप्रस दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि तुर्की ने बीते दिनों आतंकी मुल्क पाकिस्तान को खुला समर्थन दिया था।
बता दें, कि पीएम मोदी से पहले सिर्फ दो भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (2002) और इंदिरा गांधी (1983) साइप्रस गए हैं। वर्ष 2002 के बाद से कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री साइप्रस के दौरे पर नहीं गया। हालांकि वैश्विक मंच पर भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रावधानों और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत साइप्रस समस्या के समाधान के पक्ष में रहा है। वहीं साइप्रस आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।
🚨 BIG BREAKING
🇮🇳 PM Modi is likely to make a STRATEGIC STOPOVER in Cyprus 🇨🇾 (European Union 🇪🇺 member) en route to the G7 Summit in Canada 🇨🇦, reports Firstpost.
— The visit comes amid STRAINED TIES with Turkey. pic.twitter.com/TSVQbxdwlD
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) June 10, 2025
इसके अलावा साइप्रस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के चुनाव का समर्थन किया है और वो भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते के भी पक्ष में खड़ा था। 1998 में जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, उस वक्त भी साइप्रस भारत के साथ खड़ा था। साइप्रस ने हाल ही में पहलगाम में हुए जिहादी हमले की निंदा भी की थी।
बता दें, कि तुर्की और साइप्रस के बीच विवाद कई दशकों पुराना है। यह विवाद 1974 में तब और खुलकर सामने आया, जब तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया। तुर्की ने इस भू-भाग को ‘टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस’ के रूप में मान्यता दे रखी है। हालाँकि, इसे तुर्की के अलावा किसी और मुल्क ने मान्यता नहीं दी है।
इसके अलावा, पूर्वी भूमध्य सागर में गैस की खोज के अधिकारों को लेकर भी दोनों मुल्कों के बीच लगातार तनाव बना रहता है। साइप्रस के पश्चिम में सीरिया और उत्तर-पश्चिम में इजरायल है। साइप्रस में ग्रीक और तुर्क अल्पसंख्यक लोग रहते हैं और दोनों समुदायों के बीद लंबे समय से नस्लीय विवाद चला आ रहा है।
गौरतलब है, कि पीएम मोदी के साइप्रस दौरे के साथ ही क्रोएशिया की यात्रा भी बेहद अहम है। यह भारतीय प्रधानमंत्री की पहली क्रोएशिया यात्रा होगी। एस जयशंकर 2021 में क्रोएशिया जाने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बने थे। दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं। दो साल बाद भारत और क्रोएशिया ने रक्षा सहयोग से जुड़े एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये है।