
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (फोटो साभार : SansadTV)
गुरुवार (17 अप्रैल 2025) को एक कार्यक्रम में राज्यसभा के 6वें बैच के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और ‘सुपर संसद‘ के रूप में कार्य करेंगे।
गौरतलब है, कि एक लंबे वक्त तक वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और कानून के सूक्ष्म पहलुओं के विशेषज्ञ उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में लगभग प्रत्येक मामले की न्यायिक समीक्षा वाले दृष्टिकोण के बीच सुप्रीम कोर्ट को अपने अधिकारों की याद दिलाने के साथ ही उन्होंने न्यायपालिका की कमजोर होती प्रतिष्ठा को लेकर भी टिप्पणी की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इसे लेकर बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और अगर वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा।”
उन्होंने कहा,‘‘हमारे पास ऐसे जस्टिस हैं जो कानून बनाएंगे, कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’’
उपराष्ट्रपति ने संबोधन में आगे कहा, “तो क्या हम ऐसे हालात में आ गए कि समय के साथ यह बात चली जाएगी? उन्होंने स्पष्ट किया, कि लोगों के दिल पर इस घटना से गहरी चोट लगी है, लोगों का विश्वास डगमगा गया है।
तो क्या हम ऐसे हालात में आ गए कि समय के साथ यह बात चली जाएगी? लोगों के दिल पर इस घटना से गहरी चोट लगी है, लोगों का विश्वास डगमगा गया है।
There was a survey conducted recently by a media house that indicated that public confidence in the institution of Judiciary is dwindling.
It… pic.twitter.com/DjuCS8WYTL
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 का उल्लेख करते हुए कहा, कि इसके तहत मिले कोर्ट को विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ न्यूक्लियर मिसाइल बन गए हैं। जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है।’’ संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अपने समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने हेतु आदेश जारी करने की शक्ति देता है।
Article 142 has become a nuclear missile against Democratic forces available to judiciary 24×7.
We cannot have a situation where you direct the President of India and on what basis?
The only right you have under the Constitution is to interpret the Constitution under Article… pic.twitter.com/ctmd1L2KUW
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
अपने संबोधन में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा एक सर्वे की चर्चा भी की, जिसमें यह ज्ञात हुआ था, कि न्यायपालिका में नागरिकों का विश्वास कम हो रहा है। उन्होंने कहा, “कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका पारदर्शी हों और कानून के सामने सबके बराबर होने के सिद्धांत का पालन करें – ये हमारे लोकतंत्र का आधार है।”