
तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता हुआ साफ, (चित्र साभार: आजतक)
साल 2008 में हुए मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने दे दी है। सर्वोच्च अदालत ने उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही 63 वर्षीय तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें, कि भारत प्रत्यर्पण संधि के आधार पर तहव्वुर को भारत प्रत्यर्पित करने की माँग एक लंबे वक्त से करता आ रहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में वांछित तहव्वुर राणा के लिए प्रत्यर्पित न किए जाने का अंतिम कानूनी मौका था। इससे पूर्व वह अमेरिकी अपील न्यायालय समेत कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार गया था। 13 नवंबर को राणा ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के समक्ष “प्रमाणपत्र के लिए याचिका” दायर की। तहव्वुर राणा मौजूदा वक्त में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।
गौरतलब है, कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित चल रहे तहव्वुर राणा को अमेरिकी अदालत ने अगस्त 2024 में निर्णय सुनाते हुए भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के अंतर्गत राणा को भारत भेजने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके बाद मामला कागजी कार्रवाई में ही अटका गया। हालांकि भारतीय एजेंसियों ने अदालत में सभी पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत किए थे, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में अपनी मंजूरी दे दी थी।
बता दें, कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद सईद गिलानी की मदद कर रहा था, जो 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 60 घंटे से अधिक समय तक मुंबई के अहम स्थानों पर हमला किया था और निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, तहव्वुर और हेडली बचपन के दोस्त हैं। हेडली की शुरुआती पांच साल की तालीम पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में हुई है। इसके बाद वह परिवार के साथ अमेरिका चला गया। वहीं तहव्वुर राणा ने भी इसी स्कूल से पढ़ाई को और वह पाकिस्तानी आर्मी में चिकित्सक के तौर पर काम करने लगा, लेकिन फिर वह कनाडा चला गया। कुछ साल के बाद उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई।