सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथो में इस बात का कई जगह वर्णन मिलता हैं, कि जब -जब धरती पर अधर्म बढ़ा हैं, तो धर्म की रक्षा हेतु भगवान विष्णु स्वयं धरती पर अवतरित होते हैं,और अधर्म का विनाश करते हैं। मतस्य अवतार, वामन अवतार ,भगवान नृसिंह श्रीराम अवतार,श्रीकृष्ण अवतार यह सभी भगवान के अस्तित्व के प्रमाण हैं।
भारतीय हिन्दू धर्मग्रंथो में भगवान विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख मिलता हैं। जिनमें से भगवान विष्णु नौ अवतार ले चुके हैं,और इसी क्रम में भगवान विष्णु का कलयुग में अवतार लेना शेष हैं। पुराणों में वर्णित लेख के अनुसार जब कलियुग अपने चरम पर पहुंच जाएगा तब भगवान विष्णु स्वयं कल्कि भगवान के रूप में अवतार लेकर इस कलयुग का अंत करेंगे ओर धर्मयुग की स्थापना करेंगे।
वर्तमान कलियुग में जीवन व्यतीत कर रहे हिन्दू मानव समाज के भीतर यह जिज्ञाशा हैं,कि भगवान कल्कि कब धरती पर अवतरित होंगे,और उनका रूप कैसा होगा,उनका जन्म कहा होगा इत्यादि। इस प्रकार के सभी प्रश्नो के उत्तर पवित्र भगवतगीता में दिए गए हैं। भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कहा गया हैं, कि जब – जब धरती पर अधर्म की हानि होती हैं, और अधर्म और पाप का बोलबाला होता हैं। तब – तब वह धर्म के स्थापना के लिए धरती पर अवतार लेते हैं।
श्रीमदभगवतपुराण के 12वें अध्याय स्कंद में में वर्णन हैं, कि भगवान कल्कि का जन्म कलयुग के अंत एवं सतयुग के संधि काल में होगा।धर्म ग्रंथो में भी यह उल्लेख मिलता हैं,कि भगवान राम और श्रीकृष्ण का जन्म भी अपने काल के अंत में हुआ था। इसलिए जब कलयुग का अंत निकट आएगा तब भगवान कल्कि पृथ्वी पर जन्म लेंगे। हिन्दू धर्म ग्रंथो के एक श्लोक में भगवान कल्कि के जन्म का उल्लेख मिलता हैं…
सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यममहात्मन:
भवनेविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यत।।
अर्थात संभलगढ़ के विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर पर भगवान कल्कि का जन्म होगा और उनकी माता का नाम सुमति होगा। भगवान कल्कि के तीन बड़े भाई भी होंगे। जिनका नाम क्रमशः सुमन्त,प्राज्ञ एवं कवि होगा। याज्ञवलक्य उनके पुरोहित होंगे और भगवान पशुराम उनके गुरु होंगे। भगवान कल्कि कि दो पत्निया होगी, जिनका नाम लक्ष्मी रूपी पदमा एवं वैश्णवी रूपी रमा। इसी प्रकार उन्हें चार सन्तानो की प्राप्ति होगी, जो क्रमशः जय,विजय,मेघमाल और बलाहक के नाम से जाने जायेगे।
भविष्य में भगवान कल्कि देवदत्त नामक अश्व पर सवार होकर पापियों और दुष्टजनों का नाश करेंगे और कलयुग को सतयुग की ओर ले जायेंगे। भगवान कल्कि को निशकलंक भगवान के रूप में भी पूजा जायेगा। अभी कलयुग शुरू हुए अल्प समय बीता हैं, इसलिए भगवान कल्कि के जन्म में अभी काफी वक्त लगेगा और हिन्दू समाज के लोगो को भगवान कल्कि के दर्शन के लिए अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।