भूतकाल में जब इंटरनेट तकनीक को विकसित किया गया था, तब शायद ही इंटरनेट बनाने वालो को ये जानकारी नहीं रही होगी, कि भविष्य में इंटरनेट का गलत इस्तेमाल भी किया जा सकता है। साइबर स्पेस और इंटरनेट एक ऐसी आभासी दुनिया का निर्माण करता है, जहां काल्पनिक वातावरण जैसे ई-मेल, फेसबुक, कंप्यूटर, लैपटॉप, डेबिट और क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग के जरिये आम आदमी को साइबर क्राइम का शिकार बनाया जाता है।
गौरतलब है, कि वर्तमान परिस्थिति में यदि कोई व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार नहीं हुआ है, तो या तो वह व्यक्ति जागरूक होने के अलावा ऑनलाइन अत्यधिक सतर्कता बरतता है, और या फिर वह व्यक्ति बहुत खुशकिस्मत है। साइबर धोखाधड़ी की कड़िया मात्र इंटरनेट और आईटी क्षेत्र से नहीं जुड़ती है, बल्कि भारत में अपनी जड़े जमा चुके शातिर ठगों का गिरोह देश ही नहीं वरन विदेशों के नागरिकों को फर्जी कॉल सेंटर के जरिये जमकर चूना लगाते है।
जानकारी के अनुसार विगत विगत कुछ वर्षो में सामान्य जन से लेकर विशिष्ट जन के उनकी निजता से जुड़े डाटा को चुराने के मामलो में करीब छह सौ फीसदी की दर से बढ़त दर्ज की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में डिजिटल इंडिया की योजना के तहत देश के दूर-दराज के गांवो को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ने का भगीरथ प्रयास किया।
भारत में साल 2014 से पहले रसोई गैस की तरह इंटरनेट की सुविधा भी अत्यंत दुर्लभ और महंगी हुआ करती थी। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश के प्रत्येक नागरिक को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य रखा। इसी के परिणाम स्वरुप वर्तमान में इंटरनेट संचालित आर्थिक व्यवस्था हमारे जीवन के रोजमर्रा के कार्यो का आर्थिक आधार बन गयी है।
एक ओर जहां कोरोना संकट काल में सोशल दूरी के जमाने में इंटरनेट आम नागरिको के लिए वरदान साबित हुआ है। वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधी हमारे बैंक खातों में सेंधमारी कर जमकर मौज लूट रहे है। जख्म पर कोड़ की सूरत ले चुका साइबर क्राइम अपराधियों के लिए सुरक्षित और बहुत कम इन्वेस्ट वाला क्राइम जोन बन गया है, जहां वे साइबर अपराध को बुलंद हौसले के साथ अंजाम देते हुए आम और खास के बैंक खातों में धोखाधड़ी कर बड़ी-बड़ी सेंधमारी कर रहे है।
साइबर क्राइम के लिए कुख्यात झारखंड जामताड़ा के साइबर अपराधियों के कई म्यूटेन्ट, देश की राजधानी दिल्ली से लेकर बेंगलुरु और मुंबई से लेकर देहरादून तक की गलियों के अँधेरे कमरे में कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर, बहुत कम निवेश में अपना शातिर गिरोह बनाकर हर दिन भोले-भाले आम लोगो से ठगी की योजना पर कार्य कर रहे होते है।
संभवतः साइबर अपराध के मामलो में भारी वृद्धि की वजह साइबर अपराधी को भारत में बैठ कर विदेशों में की जा रही साइबर सेंधमारी में पकड़े जाने का जोखिम कम होता है। वर्तमान में साइबर अपराधी सरकारी तंत्र को भी निशाना बना रहे है। इससे स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है, कि जब मौजूदा परिवेश में साइबर क्राइम से सरकारी तंत्र ही सुरक्षित नहीं है, तो फिर आमजन सामान्य की पीड़ा क्या होगी, और उसे कौन सुरक्षित करेगा।
साइबर अपराध के मामलो में ज्यादातर वे व्यक्ति शिकार हो रहे है, जिन्हे ऑनलाइन माध्यम को मजबूरी वश अपनाना पड़ा है। और वे इस माध्यम के प्रति अधिक जागरूक और जानकार नहीं है। फिलहाल साइबर अपराध की विकट परिस्थितियो से बैंको की अपने ग्राहकों के प्रति यह जिम्मेदारी बनती है, कि वह अपने सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत और सक्षम बनाये।
इसके अलावा अपने उपभोक्ताओं को साइबर अपराध से बचाव हेतु अधिक से अधिक जागरूक अभियान चलाये। इसी के साथ सरकार को साइबर अपराध से जुड़े अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए जल्द से जल्द कड़े कदम उठाये। और साइबर थानों में दर्ज प्रत्येक शिकायत पर त्वरित कार्यवाही की जाये।