
ED ने सहारा ग्रुप की ₹1400 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी जब्त की (चित्र साभार: Financial Express /@BharatjournalX)
बेनामी संपत्तियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार एक्शन ले रहा है। इसी क्रम में ईडी ने सहारा ग्रुप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। प्रवर्तन निदेशालय की कोलकाता शाखा ने पीएमएलए के तहत कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र के लोनावला स्थित एंबी वैली सिटी और उसके आसपास की कुल 707 एकड़ जमीन को जब्त कर लिया है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹1460 करोड़ बताई जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई सहारा समूह के निवेशकों को उनकी धनराशि वापस करने में विफल रहने के चलते की है। दरअसल, ईडी ने यह जांच ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज तीन एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, सहारा समूह और इससे संबंधित लोगों के विरुद्ध अब तक 500 से अधिक एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें से 300 से अधिक मामले पीएमएलए के तहत सूचीबद्ध अपराधों से संबंधित है।
ED, Kolkata has attached lands in the name of various individuals measuring 707 Acres having approximate market value of Rs. 1460 Crore in the Amby Valley City, Lonavala of Sahara Group under the provisions of PMLA, 2002 in a money laundering case against Sahara India and its…
— ED (@dir_ed) April 15, 2025
रिपोर्ट्स के अनुसार, सहारा समूह पोंजी स्कीम चला रहा था। इसमें सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारा समूह, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी आदि कंपनियां शामिल थी।
आरोप है, कि इन कंपनियों ने निवेशकों को मोटा मुनाफा और एजेंट्स को अच्छा खासा कमीशन देने का लालच दिया। कंपनियों ने निवेशकों द्वारा जमा की गई धनराशि को नियमों के विरुद्ध अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया। साथ ही जमाकर्ताओं को इस संबंध में कोई जानकारी भी नहीं दी गई। पैसे लौटाने की बजाये निवेशकों को जबरदस्ती उनकी मैच्योरिटी रकम को फिर से अन्य पोजी स्कीम में निवेश करवाया गया।
मामले की छानबीन में पता चला है कि कंपनी के अकाउंट्स में हेराफेरी करके ये दिखाने का प्रयास किया गया, कि निवेशकों का पुराना पैसा वापस लौटाया जा रहा है, लेकिन उस रकम को एक नई स्कीम में इन्वेस्ट दिखा दिया गया। सहारा ग्रुप ने लोगों को पैसे इन्वेस्ट करने के लिए जबरदस्ती मजबूर किया था और इसके लिए निवेशकों से मंजूरी नहीं ली गई थी। जब लोगों ने अपनी पूँजी लौटने की मांग की, तो धनराशि वापस नहीं लौटाई गई।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दौरान सामने आया, कि सहारा ग्रुप ने रकम वापस तो नहीं की, बल्कि जमाकर्ताओं को अपना पैसा फिर से जमा करने के लिए मजबूर किया और एक योजना से दूसरी स्कीम में लगाया। खातों की कॉपी को छुपाने में भी धांधली की गई। कई ऐसे लुभावने ऑफर देकर निवेश के नाम पर लोगों के साथ बड़ी ठगी को अंजाम दिया गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सहारा समूह ने वर्ष 2007-2008 में ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (OFCD) के जरिये लगभग 3 करोड़ निवेशकों से ₹17400 करोड़ की मोटी रकम जुटाई थी। हालांकि, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इन योजनाओं को अवैध घोषित किया और निवेशकों को पैसा वापस करने के निर्देश दिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2012 में सहारा को ₹24000 करोड़ निवेशकों को वापस लौटाने का निर्देश दिया था, जिसमें से अब तक सिर्फ ₹11000 करोड़ ही वापस लौटाए गए हैं। नेटवर्क 18 की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला बिहार में दर्ज हुआ था। प्रवर्तन निदेशालय की जाँच चार मुकदमो के आधार पर सक्रिय हुई थी, जिसमें ओडिशा, बिहार और राजस्थान की पुलिस ने हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाईटी लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई थी।
अब तक 500 से ज्यादा मामलें दर्ज किए जा चुके है, जिसमें 300 से ज्यादा मामले मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हुए है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों की बकाया राशि चुकाने के लिए एंबी वैली की संपत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के ऑफिशियल लिक्विडेटर ने एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया शुरू की, जिसका रिजर्व प्राइस 37392 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया।
जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को ज्ञात हुआ, कि ये भूखंड बेनामी नामों से खरीदने के लिए सहारा समूह की कंपनियों से पैसे निकाले गए थे। यह निर्णय निवेशकों को उनकी जमा पूंजी वापस दिलाने के प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। फिलहाल मामले में जारी है और ईडी के अधिकारियों के अनुसार, इस मामलें में आगे और भी खुलासे हो सकते हैं।