पेरिस पैरालंपिक 2024 में अवनि लेखारा ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया है, जिससे पूरे देश में खुशी की लहर है। अवनी लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। अवनी ने अंतिम राउंड में 249.7 का स्कोर करके यह उपलब्धि हासिल की है। इसके अलावा, भारत की मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
उल्लेखनीय है, कि अवनि को यह उपलब्धि इतनी आसानी से नहीं हासिल हुई है। इस शीर्ष मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। वहीं, अवनी के पिता ने बताया, कि रामचरितमानस की चौपाई ने उनकी बेटी को शक्ति दी, जिसके कारण उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। यह चौपाई है- ‘कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं’।
ये श्री प्रवीण लेखरा हैं, जिनकी बेटी #अवनी_लेखरा ने आज पैराओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतकर देश को खुशियां दी हैं। प्रवीण जी कह रहे हैं कि #रामचरितमानस की इस चौपाई ने अवनी को शक्ति दी – कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
यह धर्म की अमोघ शक्ति है, जो ऊंचाई देती है। pic.twitter.com/I7N7ja9nFg— Shastri Kosalendradas (@Kosalendradas) August 30, 2024
अवनी के पिता प्रवीण लेखरा ने मीडिया को बताया, कि उन्होंने रामचरितमानस की एक चौपाई लिखकर अपनी बेटी को दी थी। इससे अवनी शक्ति और प्रेरणा मिली। बता दें, कि पेरिस पैरालंपिक से पाँच महीने पहले 22 वर्षीय शूटर अवनी लेखरा को पथरी निकालने के लिए ऑपरेशन करवाना पड़ा था। जिसके चलते उनका प्रशिक्षण भी प्रभावित हुआ था।
पेरिस पैराओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अवनी के खाते में कुल तीन पदक शामिल हो गए है। इससे पहले उन्होंने तीन वर्ष पहले टोक्यो में आयोजित प्रतियोगिता में स्वर्ण और कांस्य पदक जीता था। अवनी ने टोक्यो पैरालिंपिक में भी इतिहास रच दिया था। वह एक ही पैरालंपिक में कई पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय बनी थी। इससे पहले जोगिंदर सिंह सोढ़ी ने 1984 में यह कारनामा किया था।
इतना ही नहीं, एक कार दुर्घटना में अवनी की रीढ़ में गंभीर चोट लग गई थी। इसके कारण उनके कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज हो गया था। साल 2011 में वह अपने माता पिता के साथ कार से जा रही थी। उस समय उसकी उम्र लगभग 11 साल रही थी। जयपुर-धौलपुर हाइवे पर कार का एक्सीडेंट हो गया था। इसके बाद उन्हें 90 दिन तक जयपुर और दिल्ली के इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में बीताना पड़ा था।
प्रवीण लेखरा ने बताया, कि इस दौरान अवनी टीवी पर डांस देखती थी और किताबें पढ़ती थी। उसे सामान्य होने में लगभग 3 साल का लंबा वक्त हो गया। दुर्घटना के तीन साल बाद अवनी ने जगतपुरा शूटिंग रेंज में अपनी शूटिंग शुरू की और फिर 2016 में किराए की एयर राइफल के साथ कोच शेखर से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। मांसपेशियों में कमजोरी के बावजूद उन्होंने एक साल के भीतर रजत पदक जीत लिया।
अवनि ने साल 2022 में पेरिस में पैरा विश्व कप के दौरान फाइनल में 250.6 के नए विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ भारत के लिए पहला पैरालंपिक कोटा हासिल किया था। पिछले साल दिल्ली में पैरा शूटिंग विश्व कप में उन्होंने कांस्य पदक जीता था। इसमें भारत की ही मोना अग्रवाल ने स्वर्ण पदक जीता था। हालाँकि, उन्हें लगातार दर्द की समस्या रही थी।