
ऑनलाइन सट्टेबाजी कांड में फंसी मशहूर हस्तियां,
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कुछ ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्मों के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत बड़ा एक्शन लिया है। तेलंगाना में विजय देवरकोंडा, प्रकाश राज और राणा दग्गुबाती जैसे चर्चित अभिनेताओं के अलावा कुछ सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर्स व यूट्यूबर्स समेत लगभग दो दर्जन से अधिक लोगों भूमिका की पड़ताल के लिए धन शोधन का मामला दर्ज किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कारोबारी फणिंद्र सरमा ने शिकायत की थी, कि इन सेलिब्रिटी की वजह से निर्धन लोग फँसकर लाखों रुपये गँवा चुके है। इस संबंध में तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस ने पहले मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें निधि अग्रवाल, मनचू लक्ष्मी, प्रणिता सुभाष, श्रीमुखी जैसी लोकप्रिय अभिनेत्री और यूट्यूबर लोकल बॉय नानी, हर्षा साई जैसे इन्फ्लुएंसर्स भी नामजद है।
प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है, कि इन प्रमोशंस के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग हो रही थी, जो हजारों यूजर्स को चूना लगा रही थी। इन सेलेब्रिटीज पर आरोप है, कि उन्होंने कथित रूप से इस अवैध बेटिंग ऐप को प्रमोट किया था या इसके माध्यम से लेन-देन में शामिल थे। मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध सट्टेबाजी से जुड़े पहलुओं की जांच की जा रही है।
ईडी अब इन सभी हस्तियों से पूछताछ कर सकती है और आने वाले दिनों में उनके बयान दर्ज किए जाने की उम्मीद है, साथ ही उनके बैंक लेन-देन की भी जांच की जाएगी। फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय और अधिक एफआईआर एकत्र कर रहा है और उन अधिक शिकायतकर्ताओं की तलाश कर रहा है, जिन्हें इन सट्टेबाजी प्लेटफार्मों द्वारा ठगा गया था।
🚨 BIG ACTION! ED books 29 celebrities in a massive BETTING app scam under PMLA.
Names include:
— Prakash Raj
— Vijay Deverakonda
— Rana Daggubati— Assets worth ₹284.5 Cr FROZEN. pic.twitter.com/ybPty1NhNw
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) July 10, 2025
इस मामले नाम सामने आने के बाद अब सेलेब्स अपनी सफाई दे रहे हैं। विजय देवरकोंडा ने कहा कि उनका ऐ23 ऐप स्किल बेस्ड गेमिंग है, सुप्रीम कोर्ट ने रमी को लीगल माना है, कोई बेटिंग नहीं। वहीं राणा दग्गुबाती की टीम ने साफ किया, उनका का अनुबंध 2017 में खत्म हो गया। अभिनेता का एंडोर्समेंट डील सभी कानूनों के तहत था और वह किसी भी अवैध डील में शामिल नहीं हुए थे।
दक्षिण भारतीय अभिनेता और हिंदी सिनेमा में विलेन की भूमिका निभा चुके प्रकाश राज ने स्वीकार किया, कि उन्होंने 2015 में एक ऐसे विज्ञापन में काम किया था, लेकिन एक साल के अंदर ही इस डील से बाहर आ गए थे। सूत्रों का कहना है, कि जांच की शुरुआत तब हुई जब ईडी को यह पता चला, कि बड़े स्तर पर डिजिटल प्रचार के जरिए आम लोगों को सट्टे में शामिल होने के लिए उकसाया जा रहा था।