हिन्दू समाज पूजा पद्धति और धार्मिक अनुष्ठान में जल के लिए ताम्र अथवा तांबे के बर्तन का प्रयोग करते है। प्राचीन हिन्दू वैदिक संस्कृति से ही तांबे के पात्र में जल संचित करने की परंपरा चली आ रही है। तांबे को कीटाणुनाशक धातु माना जाता है। इस वजह से भारतीय लोग पौराणिक काल से ही तांबे से बने बर्तनो को उपयोग में लाते है।
प्रातः जागने के बाद खाली पेट तांबे के बर्तन में रहे जल को पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है। शोधकर्त्ताओं द्वारा कई प्रयोगो में तांबे की धातु को सेहत के लिए प्रमाणिक किया जा चुका है। तांबे के बर्तन में रखे जल को पीने से मानव शरीर में तांबे की कमी को पूरा किया जा सकता है। मनुष्य के शरीर में तांबे की मात्रा की मात्रा सूक्ष्म जीवक तत्व के रूप में होती है। हिन्दू धार्मिक स्थलों में तांबे के पात्र में चरणामृत श्रद्धालुओं को सबसे पहले दिया जाता है, जिसमे तुलसी युक्त जल और प्राण वायु ऑक्सीजन घुली रहती है।
गौरतलब है, कि अनुचित माध्यम का उपयोग कर तांबे के बर्तन में जल को ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए तांबे के बर्तन का उपयोग करने से पूर्व उससे होने लाभ और हानि के विषय में जानकारी होना आवश्यक है। जलिये जानते है, कि किन खाद्य पदार्थो का सेवन तांबे के बर्तन में रखकर करने से आपको नुकसान पहुंच सकता है।
नींबू पानी और लेमान सोडा का सेवन शरीर को तरोताजा कर देता है। नींबू पानी सेहत के लिए बेहतर भी माना जाता है। किन्तु तांबे के बर्तन में नींबू पानी का सेवन शरीर के हानिकारक साबित हो सकता है। नींबू में सिट्रिक एसिड की अधिक मात्रा में पाया जाता है। नींबू के साथ तांबे की रासायनिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप यह स्वास्थय पर उल्टा असर करता है। यदि तांबे के बर्तन नींबू पानी का सेवन किया जाता है, तो पेट दर्द उल्टी और गैस आदि की समस्या हो सकती है।
नींबू के तरह ही अन्य खट्टे पदार्थ जैसे आचार, जूस आदि अन्य खट्टे खाद्य सामग्री यदि तांबे के बर्तन में रखकर इसके सेवन से आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा तांबे के पात्र में दूध का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। तांबे के पात्र में रखा हुआ दूध शीघ्र ही विषैला तत्व बन जाता है। तांबे के पात्र में दूध के सेवन से फूड प्वॉइजनिंग के शिकार हो सकते है।
दूध के सामान ही उससे बनाने वाली छाछ का सेवन तांबे के बर्तन में करना नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। छाछ भी तांबे की धातु के साथ रिएक्ट कर सेहत को हानि पंहुचा सकता है। इसके अलावा तांबे के पात्र को कभी भी भूमि पर ना रखें, अन्यथा आपइसके गुणों से वंचित रह जायेगे और आपको कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा।
तांबे से निर्मित बर्तनों की साफ सफाई का विशेष ध्यान देने की जरुरत होती है। ताम्बे के बर्तन भीतरी भागो में कॉपर ऑक्साइड की हरे रंग की परत जमने लगती है, इसलिए बर्तन के भीतरी भाग को भलीभांति साफ करें। तांबे के पात्र में जल भंडारण से प्रतिक्रिया स्वरुप जो रासायनिक क्रिया होती है, उसी कारण कॉपर ऑक्साइड की परत जम जाती है।
(डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य विषय ज्ञान पर आधारित है । राष्ट्र ध्वनि इसकी पुष्टि नहीं करता है)