सोयाबीन प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होता है। इसमें मिनरल्स के अलावा, विटमिन बी कॉम्प्लेक्स और विटमिन ए की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसे विदेशो में शाकाहारी प्रोटीन स्रोत के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है, जबकि भारतीय लोग अधिकतर प्रोटीन के लिए दालों और अनाज पर अधिक निर्भर रहते है। मांसाहारी भोजन में प्रोटीन के साथ ही कलेस्ट्रॉल भी बहुत अधिक मात्रा में होता है, जबकि सोयाबीन में कलेस्ट्रॉल की मौजूदगी शून्य होती है।
सोयाबीन हमारे शरीर में पाए जाने कॉलेस्ट्रॉल को कम करने के मदद करता है। सोयाबीन में कैल्शियम और आयरन जैसे तत्वों की भी भरपूर मात्रा होती है। जो मानव शरीर के विकास के जरुरी तत्व होते हैं। सोयबीन के प्रयोग से हृदय रोग का खतरा कम होता है। सोयाबीन के चूरे को आटे में मिलाकर खाने से शरीर को कैलोरी मिलती है। इसलिए यह शरीर का वजन बढ़ाने में भी सहायक है।
सोयाबीन एक GMO (जेनेटिक मोडिफाई ऑरगैनिक क्रॉप) है। वैज्ञानिको द्वारा सोयाबीन में जेनेटिक बदलाव के बाद इसके पोषक तत्वों में भारी बढ़ोतरी हो गयी। सामान्य तौर पर शाकाहारी लोगो के पास प्रोटीन के स्रोत के सीमित विकल्प होते है। इसलिए सोयाबीन शाकाहारी लोगो के लिए प्रोटीन का एक अच्छा माध्यम है। सोयाबीन में नौ प्रमुख एमिनो एसिड होते है, जो शरीर के लिए बहुत जरुरी होते है। सोयाबीन के मुख्य तत्वों में प्रोटीन, कार्बोहाइडेंट और वसा पाए जाते है। सोयाबीन में प्रोटीन 46, कार्बोहाइडेंट 12,और वसा 22 फीसदी मात्रा में होती है।
सोयाबीन की खूबियों के साथ इसके अंदर पाए जाने वाले जटिल प्रोटीन के कारण इसे सेहत के लिए ठीक नहीं मानते है। सोयाबीन सदैव विवादों में रहने वाली खाद्य सामग्री है। एक और जापान में सोया के उपयोग को शरीर के लिए अच्छा माना जाता है, और सोया को विभिन्न तरीके से अपने भोजन में प्रयोग करते है जबकि अमेरिका सोया के प्रयोग को सेहत के लिए हानिकारक मानता है।
कई स्थानों पर सोयाबीन को पुरुषो के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि पुरुष इसे कितनी मात्रा में ले सकते हैं, इसका पैमाना तय नहीं है। पुरुष जो संतान उत्पत्ति की चाह रख रहे है, उन्हें सोयाबीन का प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए। कहा जाता है, कि गर्भवती महिलाओं और जो महिला नवजात को स्तनपान कराती है,उन्हें भी सोयाबीन का सेवन नहीं करना चाहिए।
सोयाबीन के अधिक उपयोग से एलर्जी और अन्य नुकसान भी होने की संभावना बनी रहती है। सोयाबीन में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो महिलाओ के हॉर्मोन एस्ट्रोजन की नकल कर उनमें हॉर्मोन से सम्बंधित विकार पैदा कर सकते है। पुरुषों के द्वारा इसके अधिक मात्रा में सेवन करने से नपुंसकता और स्पर्म काउंट में गिरावट की समस्या आ सकती है। इसलिए सोयाबीन का सेवन हर किसी को एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।