देश के बड़े-बड़े शहरो से लेकर छोटे-छोटे कस्बो में सड़को के किनारे फास्ट फ़ूड के रूप में बिकने वाले मोमोज आम तौर पर सभी लोग बड़े चाव से खाते है। मोमोज को टमाटर और लाल मिर्च से बनी तीखी चटनी के साथ परोसा जाता है, लेकिन अधिक मात्रा में मोमोज खाने के शौकीन लोगों को सावधान रहने की जरुरत है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में राजधानी दिल्ली के एक शख्स की मोमोज खाने से मौत हो गई थी। इसके बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक एडवाइजरी जारी की है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट्स के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने जानकारी दी है, कि दिल्ली में जिस 50 वर्षीय शख्स की मोमोज खाने से मृत्यु हुई थी, उसकी मेडिकल जांच में यह पता चला था, कि व्यक्ति की सांस की नली में एक मोमो फंस गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। जांच में पता चला, कि मोमोज के साँस की नाली में फंसने के कारण दम घुटने लगा और न्यूरोजेनिक कार्डिएक अरेस्ट पड़ने की वजह से व्यक्ति की मौत हो गई।
The All India Institute of Medical Science has issued an advisory on eating #momos carefully after a man died due to choking on momos.https://t.co/6gT7L2uDvj
— IndiaToday (@IndiaToday) June 15, 2022
एम्स के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्ट्रीट फ़ूड मोमोज खाने वालों को लोगों को सावधान करते हुए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है, कि भाप में पकने वाला मोमोज बेहद चिकना और फिसलन वाला होता है, अगर कोई मोमोज को ठीक प्रकार से चबाएगा नहीं और उसे सीधे निगल जायेगा, तो सांस की नाली में मोमोज फंसने से उसका दम घुट सकता है। इसलिए मोमोस जैसे फास्ट फ़ूड का सेवन करते समय हमेशा इन बातो का विशेष ध्यान रखें।
जानकारी के लिए बता दें, स्ट्रीट फ़ूड मोमोज एशिया समेत दुनिया के कई देशों में बेहद लोकप्रिय है। मोमोज को वांगटोन, सुमई समेत अन्य नामों से भी जाना जाता है। मोमोज दिखने में डंपलिंग के आकार का होता है। मोमोज के अंदर वेज और नॉनवेज दोनों तरीके की स्टफिंग की जाती है। मोमोज इटेलियन पास्ता का ही एक रूप है। यह मुख्य तौर से भूटान, तिब्बत, नेपाल समेत भारत में बेहद लोकप्रिय स्ट्रीट फ़ूड है। मैदा को गूंथकर उसकी छोटी – छोटी गोलियाँ बनाकर उसे बेलकर उसमें स्टफिंग भरी जाती है। मोमोज का प्रतिरूप चाइना में बाओजी, जियाओजी और मंटौ, मंगोलियाई में बुज और जापान में ग्योजा के रूप में मिलता है।
भारत में फ़ास्ट फूड के नाम से बिकने वाले मोमोज की कीमत भी काफी कम है। 20 रुपये में वेज मोमोज के 4-6 पीस मिल जाते है। वहीं नॉन वेज की कीमत 80 से 100 रुपये के बीच है। आज बाजार में कई तरह के मोमोज मिलते है। जो क्रमशः तंदूरी मोमो, ग्रेवी मोमो, स्टीम मोमो, स्टरफ्राई मोम समेत अन्य विकल्पों में उपलब्ध है। मोमो के साथ सर्व की जाने वाली लाल रंग की मसालेदार चटनी का अधिक सेवन भी शरीर के लिए खतरनाक होता है, जिसके अधिक सेवन से भविष्य में शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
मोमोज की बाहरी परत मैदे से बनाई जाती है। मैदे में मिलाए जाने वाले ब्लीच का केमिकल अग्न्याशय को बहुत अधिक क्षति पंहुचा सकता है, जिससे शरीर में इंसुलिन की उत्पादन क्षमता में प्रभाव पड़ सकता है। मोमोज के भरी जाने वाली सब्जियां और मांस को लंबे वक्त तक रखे रहने से खराब हो सकता है। इसके अलावा लाल मिर्च में प्रोसेसिंग के जरिए यदि कुछ मिलाया गया हो, तो ये सेहत पर बेहद बुरा प्रभाव डाल सकता है। सड़को पर मोमो बेचने वाले लोग गुणवत्ता की परवाह नहीं करते, वे बाजार से कम गुणवत्ता वाली सामग्री प्रयोग कर उसे स्टफिंग और चटनी बनाने के लिए प्रयोग करते है। ऐसे में मोमोज के सेवन से बवासीर (पाइल्स) होने का खतरा बना रहता है।
मोमोज में स्वाद के लिए अजीनोमोटो यानी मोनो-सोडियम ग्लूटामेट (MSG) मिलाया जाता है। सोडियम ग्लूटामेट के सफेद क्रिस्टल कणों में लेड बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। जो ना सिर्फ मोटापे को बढ़ाता है, बल्कि नर्व सिस्टम डिसऑर्डर, अधिक पसीना आना, छाती में दर्द, उल्टी या मितली आना और हार्ट रेट बढ़ाने जैसे स्वास्थ जोखिम की वजह बन सकता है। वेज मोमोज में पत्ता गोभी का अधिक प्रयोग किया जाता है, जिसे यदि ठीक प्रकार से पत्ता गोभी को नहीं पकाया गया, तो इसमें पाए जाने वाले टैपवार्म के खतरनाक बीजाणु आपके शरीर में अपनी बस्ती बसाकर मनुष्य के ब्रेन तक पहुंच सकते है। इसलिए सड़को पर बिकने वाले स्ट्रीट फूड को खाने से पहले बेहद सावधानी बरते।