
(चित्र साभार: facebook- sadhvi pragya singh thakur) फाइल फोटो
मालेगाँव बम विस्फोट मामले में गुरुवार (31 जुलाई, 2025) को कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा, कर्नल श्रीकांत पुरोहित और मेजर रमेश उपाध्याय समेत 7 लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया है। कोर्ट को इन लोगों के खिलाफ मालेगाँव धमाके में कोई सबूत नहीं मिले। कोर्ट ने कहा, कि आरोपियों के खिलाफ कोई विश्वसनीय और पुख्ता सबूत नहीं मिला, इसलिए सभी को बरी किया जाता है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियां बताईं। उन्होंने कहा, कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है।
कोर्ट ने कहा, कि मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते। कोर्ट ने यह भी कहा, कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया है। यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर बाइक पर लगाए गए बम से हुआ था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने कहा, कि इन आरोपियों पर घटना से जुड़े आरोप साबित नहीं हुए हैं। मामले में पेश तमाम गवाह बाद में अपने बयान से मुकर गए और आरडीएक्स लेफ्टिनेंट के घर से मिलने के साक्ष्य नहीं है। कोर्ट ने यह स्वीकार किया, कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था।
कोर्ट के निर्णय आने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने जज के सामने अपनी बात रखते हुए कहा, “मैंने हमेशा ही कहा कि जिन्हें भी जाँच के लिए बुलाया जाता है, उसके पीछे कोई आधार होना चाहिए। मुझे बिना किसी आधार के जाँच के लिए बुलाया गया और गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया गया। मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया। मैं एक साधु का जीवन जी रही थी, पर मुझे फँसाकर झूठे आरोप लगाए गए। कोई भी हमारे साथ खड़ा होने को तैयार नहीं था।”
Addressing the judge in the NIA Court, Sandhvi Pragya Singh says, "I said this from the very beginning that those who are called for investigation there should be a basis behind that. I was called by them for investigation and was arrested and tortured. This ruined my whole life.… https://t.co/GNyiAclNoF pic.twitter.com/zSxIYurGX0
— ANI (@ANI) July 31, 2025
साध्वी प्रज्ञा ने आगे कहा, “मैं जिंदा हूँ क्योंकि मैं एक संन्यासी हूँ। एक साजिश के तहत भगवा को बदनाम किया गया। आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है और ईश्वर उन आरोपितों के दंड देगा। हालाँकि, जिन्होंने भारत और भगवा को बदनाम किया, उन्हें अभी तक आपने गलत साबित नहीं किया है।”
बता दें, कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगाँव में भिक्खू चौक मस्जिद के पास धमाका हुआ। मोटरसाइकिल में बांधकर किए गए इस धमाके में 6 लोग मारे गए थे और 100 से भी अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत 7 लोगों पर UAPA, आतंकवाद, आर्म्स एक्ट और IPC की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
17 वर्षों तक चले मुकदमे में 323 गवाह पेश किए गए। इनमें से 37 गवाह अपने बयान से मुकर गए। इसके अलावा बचाव पक्ष के भी 8 गवाह पेश हुए। इस घटना के संबंध में 2018 में शुरू हुआ मुकदमा 19 अप्रैल 2025 को समाप्त हो गया। अदालत ने अपनना फैसला सुरक्षित रखा लिया था।