
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, (फाइल चित्र)
भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 79,000 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरणों में निवेश का निर्णय लिया है। रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में सेनाओं के लिए नई मिसाइलें, वाहन और नौसैनिक तोपें खरीदने की योजनाओं को मंजूरी दी गई। इसमें थलसेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम, नौसेना के लिए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स और वायुसेना के लिए उन्नत लंबी दूरी की टारगेट प्रणाली शामिल है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार (23 अक्टूबर 2025) को नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में 79,000 करोड़ रुपये की कुल राशि के विभिन्न सैन्य सेवाओं के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। यह मंजूरी सेना के लिए नई मिसाइल प्रणालियों, हाई मोबिलिटी वाहनों, नेवल सरफेस गनों और अन्य उपकरणों की खरीद के लिए दी गई है।
उच्चस्तरीय बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, कि भारतीय सेना के लिए, नाग मिसाइल सिस्टम (Tracked) एमके-II (NAMIS), ग्राउंडबेस्ड मोबाइल ELINT सिस्टम (GBMES) और मैटेरियल हैंडलिंग क्रेन के साथ हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMVs) की खरीद को आज मंजूरी दी गई है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन आधुनिक प्रणालियों से नौसेना की उभयचर युद्धक क्षमता और समुद्री निगरानी शक्ति में जबरदस्त सुधार होगा। बल्कि स्वदेशी निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है, कि इन परियोजनाओं के लागू होने से भारत की तीनों सेनाएं एक नई ऊंचाई पर पहुंचेंगी और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम होंगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, एलपीडी की खरीद से भारतीय नौसेना को भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ जल-थलचर अभियानों को अंजाम देने में सहायता मिलेगी। LPD प्रदान की गई एकीकृत समुद्री क्षमता भारतीय नौसेना को शांति अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत आदि में भी मदद करेगी।
DRDO की नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित ALWT का आगमन पारंपरिक, परमाणु और छोटी पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है। 30 मिमी एनएसजी की खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों और समुद्री डकैती विरोधी भूमिकाओं को निभाने की क्षमता में वृद्धि होगी।
भारतीय वायु सेना के लिए सहयोगी लंबी दूरी लक्ष्य सैचुरेशन/विनाश प्रणाली (CLRTS/DS) और अन्य प्रस्तावों के लिए एओएन प्रदान किया गया। CLRTS/DS में मिशन क्षेत्र में स्वचालित टेक-ऑफ, लैंडिंग, नेविगेशन, पता लगाने और पेलोड पहुंचाने की क्षमता है।