
यूक्रेन का रूस पर ड्रोन हमला, (फोटो साभार: X/@sentdefender)
रविवार (1 जून 2025) को यूक्रेन ने रूस के 4 एयरबेस को निशाना बनाते हुए अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया है। एक तरफ जहां रूस ने यूक्रेन पर 472 ड्रोन दागे है। वहीं यूक्रेन ने रूस के 40 से ज्यादा सैन्य विमानों को तबाह करने का दावा किया है। इस हमले ने दोनों देशों के बीच 2 जून को इस्तांबुल में होने वाली शांति वार्ता से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जिसमें कई रूसी हवाई अड्डों को निशाना बनाते हुए कम से कम 40 लड़ाकू विमानों-बमबर्षकों और मल्टीरोल फाइटर जेट्स को हवा में उड़ने से पहले जमीन पर ही ढेर कर दिया गया। इस हमले में यूक्रेन ने FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन स्वार्म्स का इस्तेमाल किया, जिन्हें पहले से ही रूस के अंदर तैनात कर दिया गया था।
BREAKING: Ukraine unleashes its biggest strike on Russian Air Force yet.
~ Drones smuggled deep into Russian territory hit strategic airbases – up to 40 AIRCRAFT reportedly DESTROYED.This marks a bold escalation. How will Russia react?pic.twitter.com/fanAFjIqHz
— The Analyzer (News Updates?️) (@Indian_Analyzer) June 1, 2025
यूक्रेनी सेना ने दावा किया है, ये हमले रूस की सीमा में 4000 से 5000 किमी अंदर तक किए गए हैं। इसमें रूस के अंदर साइबेरिया में एक सैन्य अड्डे को निशाना बनाया गया है। बताया जा रहा है, कि ड्रोन हमलों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए डेढ़ साल से ज्यादा का समय लगा और इसकी निगरानी व्यक्तिगत रूप से यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की कर रहे थे।
यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, इस हमले में 40 से ज्यादा रूसी विमानों को नुकसान पहुँचाया गया या तबाह कर दिया गया है। जिसमें Tu-95 और Tu-22M3 जैसे स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स और कम से कम एक A-50 एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग विमान शामिल है। यूक्रेनी सेना ने रूस के सुदूर उत्तर तक स्थित बेलाया, डायघिलेवो, ओलेन्या और इवानोवो के चार मुख्य रूसी हवाई अड्डे को निशाना बनाया हैं।
बताया जा रहा है, कि इन हमलों के लिए न तो रूस तैयार था और न ही उसकी सुरक्षा एजेंसियाँ, क्योंकि रूस के सुदूर उत्तर यानी 4000 से 5000 किमी अंदर उसे किसी हमले की तनिक भी आशंका नहीं थी। हमले को अंजाम देने के लिए यूक्रेन ने ड्रोन्स को रूस के अंदर तस्करी करके पहले से ही हवाई अड्डों के पास तैनात कर दिया था, जिससे वे सटीकता के साथ विमानों को निशाना बना सके।