
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा से हुआ 5700 करोड़ का नुकसान
उत्तराखंड में मानसून के सीजन में कई जिलों में लगातार भारी बारिश हो रही है। भारी बारिश के चलते प्रदेश के अधिकत्तर हिस्सों में आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है। अगस्त महीने में चमोली, उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में प्राकृतिक आपदा के कारण भारी नुकसान हुआ है। वहीं प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से 5700 करोड़ से अधिक का नुकसान का आकलन किया गया।
आपदा प्रबंधन विभाग ने वर्ष 2025 के मानसून से हुई भारी क्षति की प्रतिपूर्ति और भविष्य में अवस्थापना संरचनाओं की सुरक्षा हेतु भारत सरकार से ₹5702.15 करोड़ की विशेष सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है। प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु और सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व गृह मंत्रालय के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
आपदा प्रबंधन विभाग ने वर्ष 2025 के मानसून से हुई भारी क्षति की प्रतिपूर्ति और भविष्य में अवस्थापना संरचनाओं की सुरक्षा हेतु भारत सरकार से ₹5702.15 करोड़ की विशेष सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री… pic.twitter.com/LxDHEbTgmO
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) September 4, 2025
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, कि इस कठिन समय में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्रीअमित शाह लगातार उत्तराखंड के साथ खड़े रहे हैं और अब तक हर संभव सहयोग प्रदान किया गया है। सीएम धामी ने कहा, कि राज्य ने भारत सरकार से विशेष आर्थिक पैकेज का अनुरोध किया है ताकि प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता, क्षतिग्रस्त अवसंरचना का पुनर्निर्माण और आजीविका साधनों का पुनर्स्थापन किया जा सके।
एनडीएमए के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह और सचिव मनीष भारद्वाज ने उत्तराखंड को हर स्तर पर सहयोग का भरोसा दिलाया। राजेंद्र सिंह ने कहा, कि उत्तराखंड ने इस वर्ष धराली और थराली जैसी भयावह आपदाओं का सामना किया है और राज्य को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने आश्वासन दिया, कि संकट की इस घड़ी में भारत सरकार राज्य के साथ खड़ी है। एनडीएमए द्वारा हर संभव आर्थिक सहयोग दिया जाएगा ताकि आपदा प्रभावित परिवारों को मदद मिल सके और दीर्घकालिक समाधान किए जा सकें।
सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने बताया, कि आपदा से लोक निर्माण विभाग को ₹1163.84 करोड़, सिंचाई विभाग को ₹266.65 करोड़, ऊर्जा विभाग को ₹123.17 करोड़, स्वास्थ्य विभाग को ₹4.57 करोड़ तथा विद्यालयी शिक्षा विभाग को ₹68.28 करोड़ की क्षति हुई।
इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग को ₹9.04 करोड़, मत्स्य विभाग को ₹2.55 करोड़, ग्राम्य विकास विभाग को ₹65.50 करोड़, शहरी विकास को ₹4 करोड़, पशुपालन विभाग को ₹23.06 करोड़ तथा अन्य विभागीय परिसंपत्तियों को ₹213.46 करोड़ की क्षति पहुंची। सभी राजकीय विभागों को मिलाकर कुल लगभग ₹1944.15 करोड़ की सीधी क्षति हुई है। इसके अलावा भविष्य में संभावित आपदाओं से बचाव और संरचनाओं को स्थिर करने हेतु ₹3758.00 करोड़ की अतिरिक्त सहायता की मांग की गई है।
इस प्रकार उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2025 में हुई आपदा से निपटने, क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत और पुनर्निर्माण हेतु भारत सरकार से कुल ₹5702.15 करोड़ की विशेष आर्थिक सहायता का अनुरोध किया है।
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया, कि 1 अप्रैल से 31 अगस्त 2025 के बीच प्राकृतिक आपदाओं में 79 व्यक्तियों की मृत्यु हुई, 115 लोग घायल हुए और 90 लोग लापता हैं। इसके अलावा 3953 छोटे-बड़े पशुओं की मृत्यु दर्ज की गई है। आपदाओं में कुल 238 पक्के भवन व 2 कच्चे भवन ध्वस्त हुए। 2835 पक्के भवन और 402 कच्चे भवन गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। साथ ही अनेक दुकानें, होटल, होमस्टे, रेस्टोरेंट और अन्य व्यवसायिक संरचनाएं भी प्रभावित हुई हैं।