
16 शिक्षकों को मिला शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार (फोटो साभार : X@DIPR_UK)
शिक्षक दिवस के अवसर पर शुक्रवार (5 सितंबर 2025) को राजभवन में आयोजित ‘‘शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार’’ सम्मान समारोह में प्रदेश के 16 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में प्रारंभिक शिक्षा के नौ, माध्यमिक के पांच और प्रशिक्षण संस्थान एवं संस्कृति शिक्षा के एक-एक शिक्षक शामिल हैं।
समारोह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि ) ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा, कि यह सम्मान पूरे शिक्षक समाज की मेहनत और तपस्या का प्रतीक है। उन्होंने कहा, कि शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं, बल्कि चरित्र, नैतिकता और जीवन मूल्यों के निर्माता होते हैं। शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार तक सीमित नहीं होना चाहिए, अध्यापक बच्चों को संस्कारवान, जिम्मेदार और राष्ट्रभक्त नागरिक बनाने में योगदान दें।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा, कि अपने अनुभव, ज्ञान और परिश्रम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और भविष्य को संवारने की शिक्षकों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। मुख्यमंत्री ने कहा, कि शैलेश मटियानी पहाड़ के दर्द और संवेदनाओं को गहराई से समझने वाले कथाकार थे।
#WATCH | Dehradun | Uttarakhand Governor Lt Gen Gurmeet Singh and Chief Minister Pushkar Singh Dhami attend the 'Shailesh Matiyani State Educational Excellence Award' program organised at Raj Bhavan, Dehradun. pic.twitter.com/VBngkLO9qz
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 5, 2025
सीएम धामी ने कहा, कि शैलेश मटियानी ने कथा-साहित्य के साथ-साथ गद्य और सामयिक चिंतन में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों में उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों और ग्रामीणों के संघर्ष को शब्दों के माध्यम से पिरोया। मुख्यमंत्री ने कहा, कि हमारी प्राचीन परंपरा से ही गुरु को केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पथ प्रदर्शक माना जाता है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। शिक्षकों के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए भी विशेष योजनाएं प्रारंभ की हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का कार्य देश में सबसे पहले उत्तराखंड ने किया।
उन्होंने कहा, कि राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में ‘बाल वाटिका’ की शुरुआत कर प्रदेश में शैक्षिक क्रांति प्रारम्भ की। मुख्यमंत्री ने कहा, कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ बुनियादी शिक्षा के लिए ‘राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा’ तैयार की गई है। बच्चों में कौशल, उद्यमिता और भारतीय ज्ञान परंपरा को विकसित करने के लिए ’कौशलम कार्यक्रम’ भी प्रारंभ किया गया है।
प्रारंभिक शिक्षा में पौड़ी जिले से डॉ. यतेंद्र प्रसाद गॉड, चमोली से रंभा शाह, उत्तरकाशी से मुरारी लाल राणा, हरिद्वार से ठाट सिंह, टिहरी गढ़वाल से रजनी मंगाई, रुद्रप्रयाग से मिली बागड़ी, चंपावत से नरेश चंद्र, पिथौरागढ़ से दीवान सिंह कठायत, अल्मोड़ा से डॉ. विनीता खाती को सम्मानित किया जाएगा। जबकि माध्यमिक शिक्षा में पौड़ी गढ़वाल से पुष्कर सिंह नेगी, उत्तरकाशी से गीतांजलि जोशी, देहरादून से डॉ. सुनीता भट्ट, चंपावत से प्रकाश चंद्र उपाध्याय और अल्मोड़ा से दीपक चंद्र बिष्ट सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा रंजना राजगुरु, स्वर्गीय शैलेश मटियानी के सुपुत्र राकेश मटियानी एवं श्रीमती गीता मटियानी, शिक्षा विभाग के अन्य उच्च अधिकारीगण और पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।