आधुनिक युग में सोशल मीडिया के प्रयोग में निजता का उलंघन एक समस्या बन गयी है। एक और जहा इसके प्रयोग ने लोगो को इसका आदी बना दिया है, वही आतंक के पनाहगारों ने इसका प्रयोग कर अपने कुनबे को बढ़ा करने साथ ही आतंकवादी घटना को अंजाम देने के लिए किया।
हाल ही में वहाट्सएप द्वारा जारी किये गए नए दिशानिर्देश निजता को लेकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। निजता खोने के डर के चलते कई यूजर ने अन्य इंस्टेंट मेसेजिंग एप को इंस्टाल कर लिया है। अब सुनने में आ रहा है, की आतंकियों के पनाहगार पकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनो ने भी नई मेसेजिंग एप की ओर रुख कर लिया है।
जम्मू कश्मीर के सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार घाटी में आतंकवादियों के साथ मुड़भेड़ के बाद जांच पड़ताल में यह सामने आया है,कि पकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन यहाँ मौजूद दशतगर्दो से तीन नई मेसेजिंग एप से कम्युनिकेट कर रहे है। जानकारी के अनुसार इनमे से एक एप यूरोपीय कंपनी की है, दूसरी अमेरिकी एवं तीसरी तुर्की की कंपनी में बनी है।
बताया जा रहा है की कश्मीर में मौजूद दशहतगर्द अपने पाकिस्तानी आतंकी आकाओ से बात करने लिए इन्ही मेसेजिंग एप का प्रयोग कर रहे है। सुरक्षा कारणों के चलते इन एप्स का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। अधिकारियो के अनुसार कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल होते ही पाक समर्थित आतंकियों ने इन्ही एप्स के जरिये युवाओ को गुमराह करना शुरू कर दिया था। इस नए एप्स के प्रयोग में न ईमेल की जानकारी मांगी जाती है न ही फ़ोन नंबर।
बताया जा रहा है कि यह नयी मेसेजिंग एप कम इंटरनेट स्पीड पर भी बखूबी काम करती है। अधिकारीयो के अनुसारर आतंकवादियों ने फेसबुक मेसेंजर और वहाट्सएप का प्रयोग बिलकुल बंद कर दिया है। प्रशासन के लिए वर्चुअल सिम पहले से मुसीबत थे, और अब इन नयी चुनोतियो ने सुरक्षा व्यवस्था संभालने वालो के लिए नई समस्या खड़ी कर दी है।