
देश में चलेंगी हाइड्रोजन से ट्रेन, (फोटो साभार: X@IndianInfoGuid)
भारतीय रेलवे ने तकनीक के मामले में एक और बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली है। अब भारत में जल्द ही ट्रेनें बिना बिजली और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल के दौड़ती दिखेंगी। बता दें, हाल ही में तमिलनाडु के चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में ट्रेन के ऐसे डिब्बों का परीक्षण सफल रहा है, जो हाइड्रोजन का इस्तेमाल करेंगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में स्वयं इसकी पुष्टि की थी।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, कि हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। भारत अब 1200 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन ट्रेन पर भी काम कर रहा है। इस सफलता के साथ भारत उन चुनिंदा देशों जैसे स्वीडन, जर्मनी, चीन और फ्रांस की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेनों की तकनीक मौजूद है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेलवे ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा के जींद-सोनीपत रेल खंड पर 89 किलोमीटर की दूरी पर इस ट्रेन का ट्रायल किया गया। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 111.83 करोड़ रुपये बताई जा रही है। 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली इस ट्रेन को जल्द ही नियमित रूप से चलाया जा सकता है।
बताया जा रहा है, कि नॉर्दर्न रेलवे के इस रूट पर आठ कोच वाली नॉन-एसी हाइड्रोजन ट्रेन चलेगी, जिसमें दोनों तरफ हाइड्रोजन फ्यूल पावर कार होगी। आईसीएफ 31 अगस्त तक इस ट्रेन की पहली डिलीवरी देने की तैयारी में है। बता दें, कि हाइड्रोजन ट्रेनें पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है। डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले ये ट्रेनें प्रदूषण को लगभग खत्म कर देती है।
दरअसल, हाइड्रोजन ट्रेन उन ट्रेनों को कहा जाता है, जिनके संचालन में बिजली या जीवाश्म ईंधन के बजाय हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। इन ट्रेनों के इंजन को इस प्रकार बनाया जाता है, कि इनमें ऊर्जा हाइड्रोजन के प्रयोग से उत्पन्न की जाती है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित ये ट्रेनें हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन के रासायनिक रिएक्शन से बिजली पैदा करती हैं, जो ट्रेन को चलाने में मदद करती है।
इस प्रक्रिया में उप-उत्पाद के रूप में सिर्फ पानी और भाप निकलती है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। हाइड्रोजन ट्रेनों से चूंकि ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया के बाद मुख्य उत्पाद के तौर पर ऊर्जा (गर्मी) और अतिरिक्त उत्पाद (बायप्रोडक्ट) में पानी (H2o) निकलता है, इसलिए इसे स्वच्छ ईंधन कहा जाता है।
गौरतलब है, कि भारत से पहले ही पांच देश हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन कर रहे हैं। इनमें जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। एक ट्रेन को तैयार करने में करीब 80 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जबकि मैदानी और पहाड़ी इलाकों में ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में 70 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने 2800 करोड़ रुपये का बजट तय किया है।