
जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कई प्रस्तावों पर लगी मुहर, (चित्र साभार: X@FinMinIndia)
नई दिल्ली में बुधवार (3 सितंबर 2025) को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी। जीएसटी के ढांचे में सुधार के फैसलों का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, कि हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि जीएसटी स्थिर रहे और स्थायी हो। हम जीएसटी के मुआवजे को लेकर भी कदम बढ़ा रहे हैं।
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया, कि अब सिर्फ दो जीएसटी स्लैब होंगे, जो 5% और 18% होंगे। मतलब अब 12 और 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब को खत्म कर दिया गया है और इनमें शामिल ज्यादातर चीजें सिर्फ मंजूर किए गए दो टैक्स स्लैब के अंदर आ जाएंगी। हालांकि, विलासिता और हानिकारिक वस्तुओं के लिए एक अलग स्लैब को मंजूरी मिली है, जो 40% का है।
👉 Recommendations of the 56th Meeting of the GST Council held at New Delhi, today
👉 Next-generation GST reforms, as announced by Prime Minister Shri Narendra Modi from the ramparts of Red Fort on 15th August 2025, represent a strategic, principled, and citizen-centric… pic.twitter.com/yB3VioJccJ
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 3, 2025
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, कि जीएसटी में ये सुधार कॉमन मैन को ध्यान में रखकर किए गए है। आम आदमी के प्रतिदिन उपयोग की वस्तुओं पर लगने वाले हर टैक्स की कड़ी समीक्षा की गई है और ज्यादातर मामलों में दरों में भारी कमी आई है। उन्होंने बताया, कि श्रम प्रधान उद्योगों को उचित समर्थन दिया गया है। किसानों और कृषि क्षेत्र के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र को भी लाभ होगा।
जानकारी के अनुसार, दूध, ब्रेड, छेना और पनीर. सभी भारतीय रोटियों पर जीएसटी 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है। जबकि रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे शैंपु, साबुन, तेल, नमकीन, पास्ता, कॉफी, नूडल्स पर अब 5 फीसदी टैक्स लगेगा। वहीं कार, बाइक, सीमेंट, टीवी पर 28% की जगह 18% टैक्स होगा। 33 जीवन रक्षक दवाइयों, जिनमें तीन कैंसर दवाओं को भी जीएसटी से मुक्त किया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, कि ये फैसले आम आदमी, किसान और मजदूरों को ध्यान में रखकर लिए गए। त्योहारों से पहले ये राहत आम लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। वहीं बैठक में शामिल सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने इस फैसले का समर्थन करते हुए सुधार के फैसलों को मंजूरी देने में अपनी पूर्ण सहमति जताई है।