संसद में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान PM मोदी, (फोटो साभार: संसद टीवी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (8 दिसंबर) को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर चर्चा की शुरुआत की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विपक्ष को जमकर घेरते हुए वंदे मातरम को लेकर मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग के विरोध का जिक्र किया और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए थे। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम के जिस जयघोष ने आजादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी। उसका पुण्य स्मरण करना हमारा सौभाग्य है।”
#WATCH | "… Pt. Jawaharlal Nehru wrote that 'Vande Mataram's background in the Anand Matth can irritate Muslims'…," says PM Narendra Modi.
He also says, "… the Muslim League had started to strongly oppose Vande Mataram. Muhammad Ali Jinnah raised a slogan against Vande… pic.twitter.com/cozJigFWy3
— ANI (@ANI) December 8, 2025
पीएम मोदी ने कहा, “वंदे मातरम की 150 वर्षों की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम को 50 वर्ष हुए तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। उन्होंने कहा, कि वंदे मातरम के 100 साल हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। जब वंदे मातरम के 100 साल का पर्व था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि जब वंदे मातरम के 100 साल का हुआ, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम के गीत ने आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके जब 100 साल हुए तो दुर्भाग्य से एक काला कालखंड हमारे इतिहास में उजागर हो गया। उन्होंने कहा, कि 150 वर्ष उस महान अध्याय को, उस गौरव को पुनर्स्थापित करने का अवसर है।
पीएम मोदी ने कहा, “मैं मानता हूँ, कि सदन और देश को इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए। इसे वंदे मातरम ने 1947 में देश को आजादी दिलाई। स्वतंत्रता संग्राम का भावात्मक नेतृत्व इस वंदे मातरम के जय घोष में था।” उन्होंने कहा, कि वंदे मातरम की जिस भावना ने देश की आजादी की जंग लड़ी। उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम पूरा देश एक स्वर से वंदे मातरम बोलकर आगे बढ़ा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “फिर से एक बार अवसर है कि हम सब मिलकर चलें, देश को साथ लेकर चलें। आजादी के दीवानों के सपनों को पूरा करने के लिए लिए वंदे मातरम 150 हमारी प्रेरणा बने। देश आत्मनिर्भर बने, 2047 में हम विकसित भारत बनाकर रहें। इस संकल्प को दोहराने के लिए यह वंदे मातरम हमारे लिए एक बड़ा अवसर है।”
पीएम मोदी ने कहा, “वंदे मातरम की इस यात्रा की शुरुआत बंकिम चंद्र जी ने 1875 में की थी और गीत ऐसे समय लिखा गया था, जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी। भारत पर दबाव डाल रही थी, जुल्म कर रही थी और भारत के लोगों को अंग्रेजों द्वारा मजबूर किया जा रहा था। उनके राष्ट्रगीत ‘God Save The Queen’ को भारत को घर-घर पहुँचाने का षडयंत्र तक चल रहा था।
उन्होंने कहा, कि ऐसे समय में बंकिम दा ने चुनौती दी और ईंट का जवाब पत्थर से दिया। उसमें से वंदे मातरम का जन्म हुआ। 1882 में जब उन्होंने ‘आनंद मठ’ लिखा तो इस गीता का उसमें समावेश किया गया। पीएम मोदी ने कहा, कि वंदे मातरम ने उस विचार को पुनर्जीवित किया था। जो हजारों वर्ष से भारत की रग-रग में रचा-बसा था। उसी भाव, संस्कार, संस्कृति, परंपरा को उन्होंने उत्तम शब्दों में, उत्तम भाव के साथ वंदे मातरम के रूप में हम सबको बहुत बड़ी सौगात दी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा, कि वंदे मातरम केवल राजनीतिक आजादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था, अंग्रेज जाएँ और हम खड़े हो जाएँ, इतना ही प्रेरित नहीं करता था। वो उससे कहीं आगे था। आजादी की लड़ाई इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी। अपने माँ भारती को बेड़ियों से मुक्त दिलाने की जंग थी।”
PM मोदी ने कहा, “वंदे मातरम के शब्द गुलामी में हमें हौसला देने वाले थे। इन शब्दों ने करोड़ों देशवासियों को एहसास कराया, कि लड़ाई किसी जमीन के टुकड़े के लिए नहीं है। ये लड़ाई सत्ता के सिंहासन को कब्जा करने के लिए नहीं है। ये गुलामी की बेड़ियों को मुक्त कर, हजारों साल की महान परंपरा, गौरवपूर्ण इतिहास को फिर से याद कराने का संकल्प था।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जब सिंधु, सरस्वती, कावेरी, गोदावरी, गंगा, यमुना जैसी नदियों की चर्चा होती है तो उस नदी के साथ सांस्कृतिक धारा प्रवाह, विकास यात्रा का धारा प्रवाह उसके साथ जुड़ जाता है। क्या कभी किसी ने सोचा है, आजादी के जंग की यात्रा का पड़ाव वंदे मातरम की भावना से गुजरता है। ऐसा भाव काव्य दुनिया में कहीं उपलब्ध नहीं होगा।”

