उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर पीएम मोदी का संबोधन, (फोटो साभार : X@DIPR_UK)
उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती उत्सव के मुख्य समारोह में शनिवार (9 नवंबर 2025) को देहरादून पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग ₹8,260 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। समारोह में पीएम मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड की गत 25 वर्षों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए अगले 25 वर्षो के लिए रोडमैप के साथ आगे बढ़ने हेतु प्रेरित किया।
देहरादून स्थित एफआरआई परिसर में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने गढ़वाली–कुमांऊनी में प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा, कि नौ नवंबर का दिन उत्तराखंडवासियों की लंबी तपस्या का फल है। ये दिन प्रत्येक उत्तराखंडवासी को गर्व का अनुभव कराता है। पीएम मोदी ने राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही सभी आंदोलनकारियों को नमन भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, कि 25 साल पहले केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जिन उम्मीदों एवं आकांक्षाओं के साथ उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया, आज वो सभी सपने पूरे हो रहे हैं।
देवभूमि का असली परिचय उसकी आध्यात्मिक शक्ति है। उत्तराखंड अगर ठान ले तो अगले कुछ वर्षों में खुद को ‘स्पिरिचुअल कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में स्थापित कर सकता है। pic.twitter.com/dbBgE5VZqT
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2025
पीएम मोदी ने उत्तराखंड के प्रति अपना लगाव व्यक्त करते हुए कहा, “जब वो अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर यहां आते थे, तो पहाड़ों पर रहने वाले भाई -बहनों का संघर्ष और परिश्रम उन्हें प्रेरित करता था, यहां बिताए दिनों ने उन्हें उत्तराखंड के सामर्थ्य से परिचय कराया। इसी भरोसे के साथ उन्होंने बाबा केदार के दर्शन के बाद कहा था, कि ये दशक उत्तराखंड का होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, कि अब उनका ये भरोसा और भी दृढ़ हो गया है कि इस वक्त उत्तराखंड के उत्कर्ष का कालखंड चल रहा है। उन्होंने कहा, कि 25 साल पहले, जब नया- नया उत्तराखंड बना था, तो उस वक्त कई चुनौतियां थी, राज्य के संसाधन सीमित थे, बजट भी छोटा था, आय के स्रोत भी कम थे। तब ज्यादातर जरूरतें केंद्रीय सहायता से पूरी होती थीं। लेकिन आज, तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई है।
पीएम मोदी ने कहा, कि 25 वर्ष पहले उत्तराखंड का बजट सिर्फ चार हजार करोड़ रुपए था, जो आज बढ़कर एक लाख करोड़ के पार चला गया है। 25 साल में राज्य का बिजली उत्पादन, चार गुना बढ़ा और सड़कों की लंबाई दोगुनी हुई है।
उन्होंने कहा, कि राज्य गठन के समय छह महीने में चार हजार यात्री ही हवाई सेवाओं का इस्तेमाल कर पाते थे, आज यहां अकेले एक दिन में चार हजार से अधिक यात्री हवाई सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। इन 25 वर्षों में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 10 से ज्यादा बढ़ी है। तब राज्य में एक मेडिकल कॉलेज था, जो आज 10 हो चुके हैं। 25 साल पहले राज्य का वैक्सीन कवरेज 25 प्रतिशत भी नहीं था, आज हर गांव वैक्सीन कवरेज के दायरे में है।
प्रधानमंत्री ने कहा, कि उन्होंने आज समारोह स्थल पर कई युवाओं, उद्यमियों से बात की है, वो सभी राज्य की प्रगति को लेकर उत्साहित और आशांवित हैं। इससे साफ है, कि उत्तराखंड का प्रत्येक नागरिक, अपने योगदान से भारत को विकसित देश की पंक्ति शामिल करने के लिए तैयार है।
पीएम मोदी ने ने आज शुरू किए गए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा, कि ये परियोजनाएं, उत्तराखण्ड की विकास यात्रा को गति देने का काम करेंगी। प्रधानमंत्री ने कहा, कि उत्तराखंड सरकार सेब-कीवी के किसानों को अब डिजिटल करेंसी में अनुदान दे रही है। इस आधुनिक तकनीकी से आर्थिक मदद की ट्रैकिंग संभव है।
प्रधानमंत्री ने कहा, कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का कनेक्टिवी से गहरा नाता है। राज्य में इस समय दो लाख करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रगति पर है, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे तैयार हो चुका है। गौरीकुंड- केदारनाथ और गोविंदघाट- हेमकुंट साहिब रोपवे का शिलान्यास हो चुका है। ये सभी परियोजनाएं उत्तराखंड में विकास को नई गति दे रही हैं।
पीएम मोदी अपने संबोधन में आगे कहा, कि उत्तराखंड ने गत 25 वर्षों में विकास की लंबी यात्रा तय की है, लेकिन अब राज्य को अगले 25 वर्ष का रोडमैप तय करना है। इसके लिए राज्य को जहां चाह-वहां राह के मूलमंत्र को अपनाना होगा। इसलिए अपने लक्ष्यों पर चर्चा के लिए नौ नवंबर से बेहतर दिन और क्या होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि उत्तराखंड अगर ठान ले तो अगले कुछ ही वर्षों में खुद को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के तौर पर स्थापित कर सकता है। यहां के पवित्र मंदिर, आश्रम, योग को ग्लोबल नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। यहां हर विधानसभा क्षेत्र में योग केंद्र विकसित किए जाने की जरूरत है।
पीएम मोदी ने कहा, कि इसी तरह वाइब्रेंट विलेज को छोटे-छोटे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा, कि जब पयर्टक यहां होमस्टे के घरेलू माहौल में डुबके, चुडकानी, रोट, अरसा और झंगोरा की खीर खाएंगे, तो तो फिर दूसरी- तीसरी बार भी यहां आना चाहेंगे।

