
(फोटो साभार: X@ETVBharatUK)
उत्तराखंड में 21 सितंबर को आयोजित उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर आधे घंटे में ही हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से व्हाट्सएप के जरिये लीक होने की घटना से हड़कंप मच गया। वही आयोग ने इसकी पुष्टि तो की है, लेकिन मामला पेपर लीक की श्रेणी में नहीं होने का दावा भी किया।
इस संबंध में एसएसपी अजय सिंह के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई। रविवार देर शाम एसएसपी और आयोग के अध्यक्ष द्वारा प्रेसवार्ता कर कई अहम खुलासे भी किए है। एसएसपी अजय सिंह ने बताया, स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा प्रश्न पत्र के लीक मामले में अभी तक जांच में तीन संदिग्धों की भूमिका सामने आई है। इसमें एक अभ्यर्थी खालिद मलिक, उसकी बहन हीना, एक सहायक प्रोफेसर सुमन है।
प्रेस वार्ता में जानकारी दी गई, कि हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से पेपर का सिर्फ एक सेट एक अभ्यर्थी के लिए बाहर आया था। इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह शामिल नहीं, इसलिए पूरी परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़ा नहीं होता। यह पेपर सिर्फ कुछ लोगों के बीच ही पहुंचा।
एसएसपी ने बताया, कि मुख्य आरोपित खालिद और उसके संपर्क में आए छात्रों की जांच व तलाश जारी है। इसके लिए विशेष जांच दल गठित किया गया है जो संदिग्धों के संभावित ठिकानों पर दबिश दे रहा है। पुलिस के अनुसार, खालिद स्वयं हरिद्वार के एक सेंटर में परीक्षा देने बैठा था। आशंका है, कि उसके लिए ही पेपर बाहर आया ताकि उस तक सवालों के जवाब पहुंचाए जा सकें।
एसआईटी की जाँच में सामने आया, कि दून पुलिस ने सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे स्क्रीनशॉट की जानकारी जुटाई, तो पता चला, कि प्रश्न पत्र की फोटो सबसे पहले एक महिला, जो अगरोड़ा प्रतापनगर टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है, उसको भेजी गई थी। जिस पर महिला ने उन सवालों के जवाब भी भेजे थे। ऐसे में पुलिस ने महिला से पूछताछ शुरू की।
पूछताछ के दौरान महिला ने बताया, कि वो असिसटेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात है। वर्ष 2018 के दौरान जब वो टैक्स इंस्पेक्टर (नगर निगम ऋषिकेश) के पद पर तैनात थी, तब उसकी जान-पहचान सीपीडब्लूडी में संविदा पर जेई के पद पर नियुक्त हरिद्वार निवासी खालिद मलिक से हुई थी। जो उस समय ऑलवेदर रोड का कार्य देख रहा था।
खालिद अक्सर टेंडर के सिलसिले में नगर निगम ऋषिकेश आता-जाता रहता था। वर्ष 2022 में सुमन का चयन डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए हो गया, लेकिन खालिद और उसके बीच बातचीत का सिलसिला जारी रहा। खालिद ने रविवार सुबह स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर हल करने के लिए तीन पेज सुमन को भेजें।
सुमन के अनुसार, उसने बिना कुछ सोचे-समझे 12 प्रश्नों के उत्तर ढूंढे और 11:45 पर खालिद को भेज दिए। सुमन की माने, तो उसे ये पता नहीं था, कि रविवार को पेपर था। उसने पेपर के पहले पेज पर ओएमआर शीट लिखा देखा, तब जाकर उनको संदेह हुआ। इसके बाद वह पुलिस से इसकी शिकायत करने जा ही रही थी, लेकिन उनकी बहन ने पेपर की फोटो बॉबी पवार को भेज दी।
इसके बाद जब पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा, तो पुलिस व आयोग हरकत में आ गए। बताया जा रहा है, कि सुमन की बहन लंबे समय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है और इसी दौरान उसकी मुलाकात बॉबी कुमार से हुई थी। आरोप है, कि बॉबी ने उन्हें पुलिस के पास जाने से रोक दिया और पेपर लीक का मुद्दा बनाकर प्रचारित किया।
एसएसपी ने दावा किया, कि इस कांड की तीन प्रमुख कड़ियों का खुलासा हो चुका है। महिला प्रोफेसर सुमन साजिश का शिकार हुईं या इरादतन साजिश में शामिल रही हैं, यह मुख्य आरोपित खालिद से पूछताछ के बाद ही स्पष्ट होगा। वहीं इस प्रकरण ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं, कि जब पेपर के कुछ अंश कुछ व्यक्तियों के हाथों तक पहुंचे, तो उन्होंने इस बारे में पुलिस अथवा आयोग को जानकारी क्यों नहीं दी ?
कथित पेपर लीक कांड में थाना रायपुर उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही इन तथ्यों की भी गहनता से विवेचना की जा रही है, कि परीक्षा प्रणाली को सनसनीखेज बनाने व बदनाम करने के उद्देश्य से ही तो कहीं स्क्रीनशॉट को सोशल मीडिया पर वायरल न किया गया हो।