
मनसा देवी मंदिर हादसे पर शासन की उच्चस्तरीय बैठक
हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की घटना के बाद प्रदेश सरकार प्रमुख धार्मिक स्थलों में भीड़ प्रबंधन के लिए सर्वे कराएगी। इसमें कैंचीधाम, चंडी देवी, नीलकंठ व पूर्णागिरि मंदिर शामिल है। इसके अलावा मंदिरों में सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाओं के लिए गढ़वाल व कुमाऊं मंडलायुक्तों को नोडल अधिकारी नामित किया गया।
मंगलवार (29 जुलाई 2025) को मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिवालय स्थित अपने सभागार में प्रदेश के महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा, भीड़ प्रबन्धन आदि के सम्बन्ध में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा, कि स्थानीय प्रशासन एवं धार्मिक स्थलों के हितधारकों को विशेषज्ञों की टीम को हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने आज सचिवालय स्थित अपने सभागार में प्रदेश के महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा, भीड़ प्रबन्धन आदि के सम्बन्ध में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
मुख्य सचिव ने कहा कि हरिद्वार के मनसा देवी में श्रद्धालुओं में हुई भगदड़ जैसी… pic.twitter.com/VDzPapHGou
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) July 29, 2025
बैठक में मुख्य सचिव ने कहा, कि हरिद्वार के मनसा देवी में श्रद्धालुओं में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं पर काबू पाने हेतु प्रदेश के ऐसे सभी धार्मिक स्थलों को चिह्नित किया जाए। उन्होंने कहा, कि महत्त्वपूर्ण दिवसों में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ जैसी घटनाओं की आशंका वाले स्थानों में अंशकालिक एवं दीर्घकालिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा, कि धार्मिक स्थलों के मार्गों को अतिक्रमण मुक्त कर मार्गों का चौड़ीकरण कराया जाए। मार्गों से अतिक्रमण हटाने के लिए लगातार अभियान चलाए जाएं। उन्होंने कहा, कि धार्मिक स्थलों में भीड़ प्रबंधन के लिए तकनीक का प्रयोग भी किया जाए। धार्मिक स्थलों में अत्यधिक भीड़ होने पर मार्गों में श्रद्धाओं को रोके जाने हेतु स्थल तैयार किए जाएँ।
मुख्य सचिव ने कहा, कि प्रत्येक धार्मिक स्थल के लिए रूट और सर्कुलेशन प्लान तैयार किया जाए, ताकि धार्मिक स्थलों में अचानक भीड़ ना हो। उन्होंने अधिक महत्त्वपूर्ण मंदिरों को प्राथमिकता पर लेते हुए पहले चरण में मनसा देवी, चण्डी देवी, नीलकंठ, कैंचीधाम और पूर्णागिरि मंदिर का विशेषज्ञों के माध्यम से विश्लेषण करा लिया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा, कि यह विशेषज्ञों की टीम मंदिर क्षेत्र का विश्लेषण कर भीड़ प्रबंधन, निकासी योजना और बॉटल नेक एरिया के लिए सिविल इंजीनियरिंग और तकनीकी पहलुओं का परीक्षण कर विभिन्न जगहों पर रुकने के स्थान आदि के लिए एक प्रॉपर प्लान और प्रॉपर एसओपी तैयार करेगी।
उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है, कि सभी मार्गों का चौड़ीकरण कराया जायेगा। बैठक में ये भी तय हुआ है कि धार्मिक स्थलों में भीड़ प्रबंधन के लिए तकनीक का प्रयोग भी किया जाए। अगर कहीं भीड़ अधिक होती है, तो तत्काल यात्रियों को रोककर उनके ठहरने की व्यवस्था हो सके, ऐसी सुविधा विकसित की जाये।
बता दें, कि रविवार 27 जुलाई की सुबह लगभग 9 बजे मनसा देवी मंदिर पैदल मार्ग पर भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई थी, वहीं तीस लोग घायल हुए थे। हादसे के बाद मुख्यमंत्री धामी भी हरिद्वार पहुंचे थे और उन्होंने घटनास्थल का जायजा लिया था। सीएम धामी ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे।