सांकेतिक चित्र
सात साल पहले अपने दोस्त की निर्मम हत्या करने वाले दो दोषियों का अपराध सिद्ध होने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया। अर्थदंड जमा नहीं करने पर अभियुक्तों को एक-एक साल अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 अक्टूबर 2018 को शीशमझाड़ी निवासी केदार सिंह बिष्ट ने थाना मुनिकीरेती में अपने 19 वर्षीय बेटे सिद्धार्थ बिष्ट के लापता होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया, कि उनका बेटा सुबह घर से स्कूटी लेकर गया था। इसके बाद वह वापस नहीं लौटा। पुलिस ने दो नवंबर को मामला दर्ज कर सिद्धार्थ की तलाश शुरू की।
पुलिस ने लापता युवक के दोस्त अतुल वाल्मीकि निवासी धोबी घाट चंद्रेश्वर नगर ऋषिकेश और आकाश मंडल निवासी शीशमझाड़ी मुनिकीरेती को पूछताछ के लिए थाने बुलाया। पूछताछ के दौरान दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। आरोपितों की निशानदेही पर पुलिस ने सिद्धार्थ का शव बरामद किया। शव को मुनिकीरेती में एक टापू पर गड्ढे में दबाया गया था।
शव को मिट्टी में दबाकर उसके ऊपर पत्थर और झाड़ियां रखी गई थी। घटनास्थल के पास नायलॉन की रस्सी भी बरामद हुई। जांच में सामने आया, कि सिद्धार्थ की बहन को ट्यूशन पढ़ाने वाला उसका दोस्त आकाश छेड़छाड़ और अभद्रता कर रहा था। इसी बात को लेकर सिद्धार्थ ने उसे टोका था।
30 अक्टूबर को अतुल और आकाश ने सिद्धार्थ को लकड़घाट मुनिकीरेती बुलाया। हत्यारोपियों ने पहले उसे जबरन स्मैक पिलाई, फिर रस्सी से गला घोटकर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। पुलिस ने 18 जनवरी 2019 को आरोपपत्र कोर्ट में पेश किया।
ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा 12 गवाह और कई दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। मंगलवार 28 अक्तूबर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमित कुमार सिरीही की अदालत ने दोनों आरोपितों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

