सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार: etvbharat)
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल समेत देश के अन्य राज्यों में हो रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को धमकाने और चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के कार्य में बाधा डालने की घटनाओं का गंभीरता से संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चल रहे SIR के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स पर हो रहे हमलों और धमकियों को बेहद गंभीर मानते हुए चुनाव आयोग ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर दिया है। मंगलवार (9 दिसंबर 2025) को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, कि BLO ग्राउंड लेवल पर भारी दबाव और तनाव में काम कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षा मिलनी ही चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, कि SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं में बीएलओ की सुरक्षा और प्रशासनिक निर्देश पूरे देश में लागू होंगे, और यह मात्र पश्चिम बंगाल राज्य तक सीमित नहीं है। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग से मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सहयोग की कमी को गंभीरता से लेने को कहा।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान BLO के काम की कठिनाई को पूरी तरह स्वीकार किया। जस्टिस बागची ने कहा, “ये कोई डेस्क का काम नहीं है। वे हर घर जाते हैं, वहां जाकर सत्यापन करते हैं, फॉर्म भरवाते हैं, फिर उसे लेकर आते हैं और अपलोड करते हैं। घर-घर जाना, फिर वापस आकर अपलोड करना ये भारी दबाव और तनाव का काम है।”
Supreme Court has issued notice to the Election Commission of India (ECI) seeking its response on a plea seeking protection for BLOs (Booth Level Officers) deployed to perform enumeration duty during the ongoing SIR (Special Intensive Revision) drive against threats and violence…
— ANI (@ANI) December 9, 2025
उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की, कि यदि BLO को सुरक्षा नहीं दी जा रही है तो ये बहुत गंभीर विषय है। कोर्ट ने कहा, कि मतदाता सूची को साफ-सुथरा और सही बनाना लोकतंत्र की बुनियाद है और इसके लिए काम करने वाले अफसरों को डर के साए में नहीं छोड़ा जा सकता है। कोर्ट का साफ कहना है, कि इस काम में कोई राजनीतिक दखल या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है, कि आखिर BLO की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा, कि BLO को सुरक्षित माहौल में काम करने का पूरा हक है, क्योंकि वे निष्पक्ष तरीके से मतदाता सूची तैयार करने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है, कि पश्चिम बंगाल में अगले साल पंचायत चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनाव होने वाले है। इससे पहले यहां एसआईआर का मुद्दा खासा गरमाया हुआ है। दरअसल, भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से सटे इलाको में घुसपैठियों को बसाना बहुत बड़ा रैकेट है।
पश्चिम बंगाल में विभिन्न आरटीआई के जरिए अहम आंकड़े सामने आए है। जैसे पश्चिमी बंगाल में 37 लाख लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है। नौ जिलों में बीते 20 वर्ष में मुस्लिम आबादी की दर में 30 फीसदी से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है जिस राज्य में जन्मदर घट रही है, वहां मुस्लिमों की आबादी कैसे बढ़ रही है?
2004 में जारी आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में 4.74 करोड़ वोटर थे। वर्तमान में स्वाभाविक आंकड़ा कहता है, कि बंगाल में छह करोड़ से अधिक मतदाता हो सकते हैं, लेकिन यह आंकड़ा सात करोड़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यानी एक करोड़ से ज्यादा मतदाता अनुचित तरीके से जुड़े है।

