सांकेतिक चित्र, (फोटो साभार: अमर उजाला)
दुनियाभर में बहुत से ऐसे दंपति हैं, जो अब भी माता-पिता बनने का इंतजार कर रहे है। दरअसल, वर्तमान समय में असंतुलित दिनचर्या व भोजन संबंधी कई प्रकार की प्रतिकूल परिस्थियों के चलते क्रॉनिक बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है। इसके चलते IVF और सरोगेसी जैसी कई तकनीकों के होते हुए भी माता-पिता अपनी संतान का चेहरा देखने के लिए तरस रहे हैं।
इसी बीच नि:संतान दम्पतियों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। अब AI तकनीक की मदद से उनकी समस्या का निदान हो सकता है। खबर सामने आ रही है, कि वैज्ञानिकों की एक टीम ने एआई की सहायता से 19 साल से नि:संतान जोड़े को गर्भधारण का सुख प्रदान किया है। इससे दुनियाभर में लाखों ऐसे दंपत्तियों के लिए उम्मीद की किरण जगी है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के शोधकर्ताओं ने AI-निर्देशित तकनीक का इस्तेमाल करते हुए संभवतः पहली सफल गर्भावस्था की जानकारी दी है। गर्भधारण के लिए कई बार आईवीएफ और सर्जरी करा चुके इस दंपत्ति को आखिरकार एआई की मदद से गर्भधारण प्राप्त करने में मदद मिली है।
इसके लिए एआई आधारित सिस्टम ने 25 लाख से अधिक तस्वीरों का विश्लेषण किया और 3.5 मिलीलीटर वीर्य के सैंपल में दो स्वस्थ स्पर्म सेल की खोज की, जिसका उपयोग चिकित्सकों की टीम ने IVF के लिए किया और दंपत्ति के जीवन में संतान सुख की उम्मीद जगी। रिपोर्ट के मुताबिक, यह कपल माता-पिता इसलिए नहीं बन पा रहा था, क्योंकि महिला के पति को एजोस्पर्मिया था।
विशेषज्ञों के अनुसार, एजोस्पर्मिया एक तरह की शारीरिक अवस्था है, जिसमें पुरुषों के सीमन (Semen) में स्पर्म्स नहीं पाए जाते और ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बिना स्पर्म्स के गर्भधारण कठिन हो जाता है। AI तकनीक से डॉक्टरों को पुरुष के सीमन में एक-एक करके कुछ स्वस्थ स्पर्म्स मिले। इन्हीं में से एक स्पर्म को अंडे में डाला गया और ऐसे 19 साल के लंबे अंतराल के बाद महिला पहली बार गर्भवती हुई।
गौरतलब है, कि इस साल के शुरूआती महीनो में एआई की स्टार (स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी) की तकनीक दुनिया के सामने आई थी। जो एजोस्पर्मिया से ग्रस्त पुरुषों के वीर्य के सैंपल को स्कैन करने के लिए हाई इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल करती है। ये एक घंटे से भी कम समय में 80 लाख से अधिक इमेज लेती है।
सैंपल में शुक्राणु कोशिकाओं की पहचान के लिए एआई का उपयोग किया जाता है। जिसमें छोटे, बाल जैसे चैनलों वाली एक माइक्रोफ्लुइडिक चिप शुक्राणु कोशिका वाले वीर्य के सैंपल के हिस्से को अलग कर देती है, ताकि इसका उपयोग भ्रूण बनाने के लिए आईवीएफ में किया जा सके।

