सुनियोजित तरीके से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत विरोधी प्रोपगेंडे का प्रचार करने वाली राणा अयूब के खिलाफ मुंबई पुलिस में एक अधिवक्ता ने मुकदमा दर्ज कराया है। कथित पत्रकार राणा अयूब पर आरोप है, कि उन्होंने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब का विरोध करने वाले भगवाधारी छात्रों को आतंकी कहा है। ऑपइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अधिवक्ता आशुतोष जे दुबे द्वारा राणा अयूब के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
I have registered Online FIR with @CPMumbaiPolice @MumbaiPolice & @MahaCyber1 Against Alleged Journalist "Rana Ayyub" for a Venomous and inflammatory statement against Karnataka Students with Saffron Flags. pic.twitter.com/1tewPLr6kQ
— ADV. ASHUTOSH J. DUBEY ?? (@AdvAshutoshBJP) February 16, 2022
राणा अयूब पर है, पैसो की हेराफेरी का आरोप
उल्लेखनीय है, कि कुछ समय पहले दानदाताओं के पैसों में हेराफेरी के आरोप में पकड़ी गईं वाशिंगटन पोस्ट की पत्रकार राणा अयूब ने बुर्का विवाद पर बीबीसी वर्ल्ड न्यूज के एक कार्यक्रम में अपना इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू के दौरान राणा अयूब ने शैक्षणिक संस्थानों में लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर झूठ बोलने के साथ ही ‘जय श्री राम’ कहने वालों छात्रों को ‘हिंदू आतंकी’ कहा था। अधिवक्ता आशुतोष जे दुबे द्वारा राणा अयूब के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा, कि 1.5 मिलियन फॉलोवर वाली राणा अयूब की विवादित और भड़काऊ वीडियो पर तत्काल कार्यवाही की जाये। उक्त विवादित वीडियो में भगवा झंडा उठाने वाले छात्रों को ‘आतंकी’ कहा गया था।
इंटरव्यू के दौरान प्रस्तुत किये झूठे तथ्य
वित्तीय गड़बड़ी की आरोपी राणा अयूब ने आर्टिकल 25 का उदाहरण देते हुए बताया था, कि किस प्रकार देश में हर नागरिक को अपने मजहब का अभ्यास करने का अधिकार है, लेकिन विदेशी चैनल में अपने प्रोपगेंडे को रखने की जल्दबाजी में राणा अयूब ये जानकारी देना भूल गईं, कि देश के प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान के पास भी अपने दिशानिर्देश तय करने के अधिकार है, शैक्षिणिक संस्थान द्वारा तय ड्रेस कोड का पालन हर पढ़ने वाले छात्र – छात्राओं को करना होता है।
अपने ही बयानों में उलझी राणा अयूब
बीबीसी वर्ल्ड न्यूज को दिए अपने इंटरव्यू में राणा अयूब अपनी बातों में उलझती नजर आयी। राणा अयूब ने कहा, कि ये वो भारत नहीं है, जिस पर हमें कभी गर्व होता था। ये दक्षिणपंथी आतंकियों का भारत है। कथित पत्रकार राणा अयूब ने अपने इंटरव्यू में मुस्लिमों के साथ होती हिंसा, नमाज न पढ़ने देने के कथित मुद्दों को उठाया, लेकिन अयूब ने ये खुलासा नहीं किया, कि किस प्रकार मुस्लिम समुदाय सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करके नमाज पढ़ते थे और कैसे राष्ट्र में हिंदुओं के खिलाफ क्रूर अपराधों को अंजाम दिया जाता है। उल्लेखनीय है, कि गुजरात के किशन भरवाड की हो या झारखंड के रुपेश पांडे तमाम ऐसे बर्बर उदाहरण है, जिसे सेलेक्टिव लिबरल द्वारा एक सिरे से नजरअंदाज किया जा रहा है।