आचार्यों एवं संतगणों के साथ बैठक में शामिल हुए सीएम धामी, (फोटो साभार : X@DIPR_UK)
हरिद्वार अर्द्धकुंभ 2027 के भव्य आयोजन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार (28 नवंबर 2025) को धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा किनारे सभी 13 अखाड़ों के आचार्यों एवं संतगणों के साथ बैठक की। कुंभ के आयोजन के लिए पहली बार गंगा तट पर आयोजित बैठक में शाही स्नान से लेकर हर समस्याओं के समाधान तथा भव्य-दिव्य कुंभ की रूपरेखा तैयार की गई।
सीएम धामी ने अखाड़ों के प्रतिनिधियों व हितधारकों संग कुंभ की व्यवस्थाओं और सुविधाओं पर रायशुमारी के बाद कुंभ स्नान 2027 की महत्वपूर्ण तिथियों की घोषणा की।
#WATCH | Haridwar | Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami held a meeting with saints and akharas on the Kumbh Mela 2027, which will be held in Haridwar. pic.twitter.com/OEYk9eFyJb
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 28, 2025
मुख्यमंत्री ने 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 6 फरवरी को मौनी अमावस्या, 11 फरवरी को वसंत पंचमी, 20 फरवरी को माघ पूर्णिमा, 6 मार्च को महाशिवरात्रि (अमृत स्नान), 8 मार्च को फाल्गुन अमावस्या (अमृत स्नान), 7 अप्रैल को नव संवत्सर, 14 अप्रैल को मेष संक्रांति (अमृत स्नान), 15 अप्रैल को श्रीराम नवमी तथा 20 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा के स्नान की तिथियों की घोषणा की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक के दौरान कुंभ के सफल आयोजन के लिए अखाड़ों के आचार्यों से सुझाव एवं मार्गदर्शन लिया। उन्होंने कहा, कि कुंभ से जुड़े सभी निर्णयों में संतगणों की परम्पराओं, आवश्यकताओं एवं सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
हरिद्वार में कुंभ मेला 2027 के सफल आयोजन हेतु पूज्य साधु-संतों के साथ अखाड़ों की बैठक में सभी महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की।
कुंभ मेला 2027 का पहला शाही स्नान मकर संक्रांति 14 जनवरी 2027 को होगा। दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या 6 फरवरी, बसंत पंचमी 11 फरवरी, माघ पूर्णिमा… pic.twitter.com/lWTHGegGBX— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 28, 2025
सीएम धामी ने कहा, कि संतों की प्रेरणा, सुझाव और आशीर्वाद के बिना इस महाआयोजन की पूर्णता की कल्पना भी संभव नहीं है। हमारा प्रयास है, कि सभी के अमूल्य सुझावों से कुंभ 2027 की तैयारियों को और अधिक व्यापक, सुव्यवस्थित और संत समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देवभूमि उत्तराखण्ड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का आह्वान किया है। इसी संकल्प को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार कुंभ 2027 को भव्य, दिव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा, कि वर्ष 2021 में आयोजित कुंभ कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण अल्प अवधि के लिए आयोजित किया गया था और शाही स्नान भी प्रतीकात्मक रूप से ही संपन्न हुआ था, लेकिन वर्ष 2027 में होने वाला हरिद्वार कुंभ कई दृष्टि से ऐतिहासिक और विशेष महत्व का होगा। इस बार श्रद्धालुओं की संख्या 2010 और 2021 के कुंभ की तुलना में कई गुना अधिक होने की संभावना है।
सीएम धामी ने कहा, कि श्रद्धालुओं और साधु-संतों की सुरक्षा के लिए राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा, कि पुलिस, NDRF, PAC, स्वास्थ्य विभाग और फायर विभाग सहित सभी संबंधित विभाग सुरक्षा के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए सभी संभव उपाय सुनिश्चित करेंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि हरिद्वार कुंभ के दौरान पूर्व में घटित दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और आपात स्थिति की तैयारी पहले से ही प्रारंभ कर दी गई है। पूर्व में आयोजित कुंभ मेलों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने वाले अधिकारियों का भी पूर्ण सहयोग लिया जाएगा, ताकि हर प्रक्रिया सुचारू और व्यवस्थित रूप से संचालित हो सके।
सीएम धामी ने बताया, कि कुंभ के दौरान नगर और घाट क्षेत्रों की स्वच्छता के लिए विशेष टीमों का गठन कर कचरा प्रबंधन, जल निकासी और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। संतों से चर्चा के दौरान मेलाधिकारी सोनिका सिंह ने कहा, कि सरकार और संतों के समन्वय से कुंभ मेले को दिव्य और भव्य रूप से संपन्न कराया जाएगा।
बैठक में अखाड़ों के आचार्य एवं संतगणों द्वारा संस्कृति के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की गई। संतगणों ने कहा, कि भव्य एवं दिव्य कुंभ के आयोजन के लिए संत समाज द्वारा राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न अखाड़ों के प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे।

