
CM धामी ने 16वें वित्त आयोग की बैठक में रखा राज्य का पक्ष, (फोटो साभार: X/@OfficeofDhami)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार (19 मई 2025) को देहरादून स्थित सचिवालय में उत्तराखंड की वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों और ढांचागत विकास की जरूरतों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों को लेकर 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया समेत अन्य सदस्यों के समक्ष राज्य का पक्ष रखा।
सचिवालय में आयोजित बैठक के दौरान सीएम धामी ने “इनवॉयरमेंटल फेडरलिज्म” की भावना के अनुरूप क्षतिपूर्ति की आवश्यकता एवं वन आच्छादन के दृष्टिगत “कर-हस्तांतरण” में इसके भार को वर्तमान से बढ़ाकर 20% तक किए जाने का सुझाव दिया, ताकि राज्य की जैवविविधता-संरक्षण की भूमिका को उचित आर्थिक आधार मिल सके।”
Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami presented the state's stand in detail on the financial conditions, challenges and development needs of the state in a meeting with the Chairman of the 16th Finance Commission Dr. Arvind Panagariya and other members at the… pic.twitter.com/L17YUA5Edj
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 19, 2025
सीएम धामी ने बताया, “राज्य में बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के दृष्टिगत फ्लोटिंग पॉप्युलेशन के उचित प्रबंधन के लिए विशेष सहायता प्रदान करने एवं कर-हस्तांतरण की राज्यों के बीच हिस्सेदारी निर्धारण प्रक्रिया में राजकोषीय अनुशासन को ‘‘डिवोल्यूशन फॉर्मूले’’ का एक महत्वपूर्ण घटक बनाने, “रेवेन्यू डेफिसिट ग्रान्ट” की जगह “रेवेन्यू नीड ग्रान्ट” लागू किए जाने के संबंध में मंथन हुआ, जिससे राज्य की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप वित्तीय सहायता प्राप्त हो सके।”
16वें वित्त आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील राज्य है। इन आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने एवं राहत तथा पुनर्वास कार्यों के लिए राज्य को सतत आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है।
भागीरथ ऐप की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए स्थापित सारा और आम नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए जल संरक्षण के इन विशिष्ट प्रयासों के लिए विशेष अनुदान पर विचार किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के बाद लागू होने वाले नियमों के चलते उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन की संभावनाएं सीमित हो गई हैं।
सीएम धामी ने बताया, कि जल विद्युत क्षेत्र, विभिन्न कारणों से आर्थिकी में अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहा है। जिससे राजस्व के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी भारी क्षति हो रही है। मुख्यमंत्री ने प्रभावित परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति की राशि और संबंधित मैकेनिज्म निर्धारित किये जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि तीर्थ स्थलों में आने वाली ’’फ्लोटिंग पाप्यूलेशन’’ के कारण परिवहन, पेयजल, स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन एवं अन्य सेवाओं के लिए भी अतिरिक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना पड़ता है। सीएम धामी ने बैठक में जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राज्य में इन्फ्रास्टक्चर के निर्माण में अधिक लागत को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता प्रदान किये जाने का अनुरोध भी किया।