
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अंतरिक्ष सम्मेलन 2025, (फोटो साभार: X/@DIPR_UK)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार (30 जून 2025) को मुख्य सेवक सदन में ‘विकसित भारत @2047′ के निर्माण के लिए हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सीएम धामी ने चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए इसरो और यूकास्ट द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया तथा इसरो द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया।
शासकीय आवास पर विकसित भारत 2047 के निर्माण के लिए हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अन्तरिक्ष सम्मेलन-2025 में @isro के माननीय अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन जी के साथ सम्मिलित हुआ। इस अवसर पर प्रदेश में मॉडल जनपद बनाने के लिए इसरो और यूकास्ट द्वारा… pic.twitter.com/BB08kFNxbk
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) June 30, 2025
सीएम धामी ने अपने संबोधन में कहा, कि उत्तराखंड सरकार विज्ञान और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्पित है और प्रदेश में साइंस सिटी, साइंस एवं इनोवेशन सेंटर, एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन व अन्य अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना पर कार्य तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा, कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत @ 2047’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा।”
सीएम धामी ने बताया, कि देहरादून में हम देश की पांचवी साइंस सिटी का निर्माण तेज गति से कर रहे हैं, जो हम सभी के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने कहा, “संचार, मौसम का पूर्वानुमान, कृषि प्रबंधन, रक्षा, नेविगेशन और विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष आधारित तकनीकी व्यापक रूप से आगे बढ़ रही है।”
"संचार, मौसम का पूर्वानुमान, कृषि प्रबंधन, रक्षा, नेविगेशन और विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष आधारित तकनीकी व्यापक रूप से आगे बढ़ रही है।": माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी। pic.twitter.com/0kloIaoG91
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा, कि एक समय था जब हमारे रॉकेट साइकिल से ले जाए करते थे, पर आज भारत ने कई विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। हमने दुनिया में सबसे पहले चंद्रमा पर पानी के अणु की मौजूदगी का पता लगाया है। उन्होंने कहा, कि भारत पहला देश है, जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर पहली बार लैंड किया है। भारत, आदित्य एल-1 मिशन के साथ सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया है।
निदेशक राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र डॉ. प्रकाश चौहान ने बताया, कि आज हमारे जीवन में हर समय अंतरिक्ष डाटा का प्रयोग हो रहा है। उत्तराखंड में हमने पशुधन का डाटा ऑनलाइन किया था। उन्होंने बताया, कि ऋषिगंगा, चमोली आपदा के दौरान हमने सेटेलाइट के माध्यम से मेपिंग की और डेटा तैयार किया, जिसका प्रयोग बाद में राष्ट्रीय नीति में भी किया गया।
उन्होंने कहा, कि उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान मैपिंग, वन संरक्षण एवं वनाग्नि की मैपिंग के क्षेत्र में सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही ग्लेशियर लेक की मॉनिटरिंग, बाढ़, बादल फटने जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान का भी काम किया जा रहा है।
मुख्य सचिव आंनद बर्द्धन ने सम्मेलन में कहा, कि उत्तराखंड में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को अपनाने और इसके लिए स्थाई वैज्ञानिक अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने इसरो से राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने तथा से कार्टोसेट के 50 सेमी या इस तरह के रिजोल्सयूशन की उपलब्ध इमेजरी को रिलय टाईम व गैर व्यावसायिक आाधार पर राज्य को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे।