
(फोटो साभार: X@ETVBharatUK)
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) अब आगामी भर्ती परीक्षाओं में शुचिता और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सख्त एक्शन लेने जा रहा है स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर लीक जैसी गंभीर चूक सामने आने के बाद आयोग ने अब केवल सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों को ही परीक्षा केंद्र बनाने का फैसला लिया है।
भर्ती परीक्षा की खामियां दुरुस्त करने के संबंध में आयोग के अध्यक्ष जीएस मरतिलया मार्तोलिया ने दैनिक जागरण को बताया, कि पेपर लीक प्रकरण के बाद आगे की भर्ती परीक्षाओं में जन विश्वास कायम रखने की चुनौती के मद्देनजर आयोग ने तय किया है, कि परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा को सशक्त किया जाएगा, ताकि हरिद्वार के परीक्षा केंद्र जैसी खामियां दोहराई ना जा सके।
उन्होंने बताया, कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में तीसरी बार गड़बड़ी सामने आई है। इस परीक्षा में डेढ़ लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। अब ऐसी बड़ी परीक्षाओं को भविष्य में दो चरणों में आयोजित कराने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही भर्ती परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन में आधार नंबर अनिवार्य किया जाएगा।
आयोग के अध्यक्ष के अनुसार, एक आधार नंबर से एक ही परीक्षा फार्म स्वीकार किया जाएगा। ऐसे में कोई भी अभ्यर्थी एक से अधिक आवेदन नहीं कर पाएगा। इसके अलावा अभ्यर्थी के अंगूठे का निशान भी लिया जाएगा, ताकि परीक्षा के दौरान संबंधित केंद्र में अभ्यर्थी के अंगूठा निशान का मिलान किया जा सके।
उन्होंने बताया, कि आयोग ने अपनी प्रिंटिंग प्रेस लगाने का प्रयोग भी किया था, लेकिन आयोग में तैनात एक पीआरडी कर्मचारियों ने ही गोपनीय विभाग से प्रश्न पत्र लीक कर दिया था। उन्होंने कहा, कि सभी परीक्षा केंद्र 5जी जैमर और सीसीटीवी कैमरों से लैस होंगे। पहला परीक्षा केंद्र के मुख्य द्वार, दूसरा कंट्रोल रूम और तीसरा आयोग मुख्यालय से कनेक्ट होगा।
इसके साथ ही तकनीकी सुरक्षा को और सख्त करने के लिए साइबर विशेषज्ञों की राय भी ली जाएगी। बड़ी परीक्षाओं को अब दो चरणों में आयोजित कराया जाएगा। जिससे एक बार में केवल 50 फीसदी परीक्षार्थी को ही परीक्षा में शामिल किया जा सके। इसके अलावा परीक्षार्थियों का भर्ती प्रक्रिया की शुचिता बनाये रखने के लिए आयोग अन्य पहल भी करने जा रहा है।
गौरतलब है, कि भर्ती परीक्षाओं में सामने आ रही गंभीर त्रुटियां को दूर करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। सख्त नकलरोधी कानून बनाकर धामी सरकार ने अपनी इच्छाशक्ति स्पष्ट भी कर दी थी, हालांकि आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के दौरान गड़बड़ियां सामने आई है। इसके दृष्टिगत सरकार द्वारा परीक्षा को निरस्त करने का बड़ा निर्णय लिया जा चुका है।