
धराली-हर्षिल राहत व बचाव कार्य जारी (फोटो साभार : X@uttarakhandcops)
धराली आपदा के बाद से उत्तरकाशी-गंगोत्री हाईवे जगह-जगह मलबा आने और सड़कों के बहने से बंद है। डबरानी, सोनगाड़, लोहारीनाग, हर्षिल और धराली में मलबा आने व भू-धंसाव के चलते बीते नौ दिनों से बाधित है। लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज पाण्डेय के मुताबिक, सीमा सड़क संगठन के साथ मिलकर दिन रात बंद सड़कों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्या का कहना है, कि गंगोत्री तक मार्ग खोलने में तीन से चार दिन वक्त और लग सकता है। धराली आपदा के बाद से उत्तरकाशी-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह मलबा आने और सड़कों के बहने से बंद है। जिसके कारण धराली में राहत एवं बचाव कार्य के दौरान खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्या के मुताबिक, सीमा सड़क संगठन द्वारा जानकारी दी गई है, कि गंगोत्री तक अगले कुछ दिनों में वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। साथ ही सड़कों की खराब स्थिति को देखते हुए आगामी कुछ दिनों के लिए यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
धराली में भारी मालबे से आई आपदा को अब एक हफ्ता पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक इतनी बड़ी आपदा में केवल कुछ एक शव ही ढूंढे जा सके हैं, जबकि उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने आज ही एक हफ्ते बाद 42 लोगों के गुमशुदा होने की सूची जारी कर दी है, हालांकि, आने वाले दिनों में यह संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
उत्तराखंड के आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित धराली-हर्षिल क्षेत्र में जारी खोज एवं बचाव अभियान पर कहा, “राहत एवं बचाव कार्य जारी है और हजार से ज्यादा लोग वहां काम कर रहे हैं। वहां वैज्ञानिकों की एक टीम भी गई हुई है। अभी तक करीब 68 लोगों के गुमशुदा होने की सूचना प्राप्त हुई है। गुमशुदा लोगों की सूची जारी कर दी गई है।”
#WATCH देहरादून: उत्तराखंड के आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित धराली-हरसिल क्षेत्र में जारी खोज एवं बचाव अभियान पर कहा, "राहत एवं बचाव कार्य जारी है और हजार से ज्यादा लोग वहां काम कर रहे हैं… वहां वैज्ञानिकों की एक टीम भी गई हुई है… अभी तक करीब 68… pic.twitter.com/N11dpl2yrF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 14, 2025
धराली में आपदा के बाद पिछले नौ दिन से लापता लोगों की तलाश जारी है। डॉग स्क्वाड, थर्मल कैमरा और जीपीएस से मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा रहा है। एसडीआरएफ के आईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया, कि डॉग स्कवाड और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों की सहायता से जहां संभावना होती है, वहां मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा रहा है।
गौरतलब है, कि भारी तबाही के बीच राहत एवं बचाव कार्य तो युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन, अब उससे भी मुश्किल सर्च ऑपरेशन करना दिखाई दे रहा है। लाखों टन मलबे के नीचे कई शवों के होने की उम्मीद है, लेकिन सेना और एसडीआरएफ भारी मशीनों और स्निफर डॉग्स की मदद से भी इन शवों को मलबे के नीचे नहीं ढूंढ पा रही है।
🚨 उम्मीद और संभावना के साथ कार्य युद्ध स्तर पर लगातार जारी..!
➡️ हर्षिल, धराली आपदा स्थल पर उत्तराखंड पुलिस टीम द्वारा आपदा के दौरान मलवे में दबे हुए भवन जहां लोगे के दबे होने की संभावना है उनको चिन्हित करते हुए सर्च अभियान का कार्य किया जा रहा है। #UttarakhandPolice#Dharali pic.twitter.com/jIN0s7JKNL
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) August 10, 2025
दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि एक तरफ यहां बड़ी भारी जेसीबी या पोकलैंड मशीन नहीं पहुंच पा रही है। इसके अलावा दलदली जमीन होने के कारण भारी मशीन यहां नहीं पहुंचाई जा सकती है। स्वयं एसडीआरएफ और सेना के जवानो का यहां गड्ढे खोदने में मुश्किल हो रही है। साथ ही यहां बड़े-बड़े बोल्डर भी है, जिन्हें बेलचे अथवा फावड़े से निकालना मुमकिन नहीं है।