
सांकेतिक चित्र, (फोटो साभार: canva.com)
हल्द्वानी में आयोजित शादी समारोह में पहुंची नन्ही कली की 2014 में सामूहिक दुष्कर्म व हत्या मामले में शीर्ष अदालत से मुख्य अभियुक्त अख्तर अली के बरी होने से भड़के जनाक्रोश को देखते हुए प्रदेश सरकार एक्शन में आ गई है। उत्तराखंड की धामी सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री धामी ने मामले का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के निर्देश जारी किये है। सरकार द्वारा बताया गया, कि वर्ष 2014 में पिथौरागढ़ की 7 वर्षीय बच्ची के साथ हुए जघन्य अपराध के मामले में एक अभियुक्त को बरी करने के अपने आदेश पर शीर्ष अदालत से पुनर्विचार करने का अनुरोध किया जाएगा।
सीएम धामी ने इस मामले में आरोपित को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषमुक्त किए जाने का संज्ञान लेते हुए कहा, कि प्रदेश की बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि राज्य सरकार इस मामले को पूरी ताकत से लड़ेगी और अपनी सर्वश्रेष्ठ कानूनी टीम तैनात करेगी।
उन्होंने कहा, कि देवभूमि में इस तरह के अत्याचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार न्याय की लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान के लिए राज्य में सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, कि सरकार देवभूमि की पहचान को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचने देगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार, न्याय विभाग और पुलिस विभाग सक्रिय हो गए है। पुलिस मुख्यालय ने मामले से संबंधित जाँच रिपोर्ट समेत अन्य पत्रावली तलब की है। जिसके बाद एसएसपी नैनीताल द्वारा अधीनस्थों को तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है।
वर्ष 2014 में काठगोदाम में मूल रूप से पिथौरागढ़ निवासी सात वर्षीय बच्ची नन्ही परी के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में आरोपित को सुप्रीम कोर्ट से दोषमुक्त किए जाने का…
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) September 18, 2025
गौरतलब है, कि नन्हीं परी दुष्कर्म व हत्याकांड मामले में आरोपित डंपर चालक अख्तर अली को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन 10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त को बरी कर दिया था। जिससे पूरे राज्य में आक्रोश की लहर है।
बता दें, कि थाना काठगोदाम क्षेत्र के अंतर्गत शीशमहल रामलीला मैदान में 20 नवंबर 2014 को आयोजित विवाह सामरोह में पिथौरागढ़ की रहने वाली सात वर्षीय ‘नन्ही परी’ अचानक लापता हो गई थी। परिजनों ने नन्ही परी को काफी ढूंढा, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल पाया। लगभग 6 दिनों के बाद नन्हीं परी का शव गौला नदी के निकट बरामद हुआ था।
पुलिस ने नन्ही परी का पोस्टमार्टम कराया, तो पता चला कि हत्या से पहले मासूम के साथ गैंगरेप किया गया था। नन्हीं परी की लाश मिलने के करीब आठ दिन बाद मुख्य आरोपित अख्तर अली को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर दो और आरोपितों प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को गैंगरेप और हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि प्रेमपाल को पांच साल की सजा दी गई। वहीं तीसरे आरोपी को बरी कर दिया। अक्टूबर 2019 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपित बरी हो गया।