
रुद्रप्रयाग में कोर्ट ने एक शिक्षक को फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर नौकरी हासिल करने का दोषी पाया है। शिक्षक को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने का दोषी मानते हुए कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई और 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बता दें, कि रुद्रपयाग जिले में बीएड की फर्जी डिग्री से शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाले 26 शिक्षकों को अभी तक जेल भेजा जा चुका है।
जानकारी के मुताबिक, रुद्रप्रयाग में जनता इंटर कॉलेज देवनगर में तैनात शिक्षक लक्ष्मण सिंह रौथाण पुत्र केदार सिंह रौथाण पर फर्जी डिग्री से नौकरी पाने का आरोप लगा था। शिकायत के आधार पर शिक्षा विभाग और एसआईटी ने बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया। सत्यापन के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ उत्तर प्रदेश से जांच आख्या प्राप्त हुई, जिसमें बताया गया, कि आरोपी के नाम से कोई भी डिग्री जारी नहीं हुई।
इसके अलावा शासन स्तर पर एसआईटी गठित कर मामले की जांच भी कराई गई थी। जांच की रिपोर्ट के आधार पर सभी आरोप सही पाते हुए शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने लक्ष्मण सिंह रौथाण को निलंबित किया और बाद में बर्खास्त के साथ ही पुलिस में फर्जीवाड़े का मुकदमा भी दर्ज कराया।
मंगलवार (15 जुलाई 2025) को जिला न्यायालय में सुनवाई पूरी होने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक सैनी ने बीएड की फर्जी डिग्री से नौकरी प्राप्त करने वाले आरोपी बर्खास्त शिक्षक लक्ष्मण सिंह को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। कोर्ट ने दोषी शिक्षक को 5 साल की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
वहीं जुर्माना अदा न करने पर दोषी को तीन माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना पड़ेगी। कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा में आरोपी शिक्षक को पुरसाड़ी जेल भेजने के आदेश दिए है। बता दें, कि रुद्रप्रयाग जिले में ही कोर्ट अभी तक 26 फर्जी शिक्षकों को दोषी साबित कर जेल भेज चुका है।