वन्यजीवों के हमलों से संघर्ष कर रहे उत्तराखंड में मानव, पशु, भवन व फसलों की क्षति पर मिलने वाले मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी की गई है। अब जंगली जानवरों के हमले में मृत्यु पर चार लाख रुपये के स्थान पर छह लाख का मुआवजा मिलेगा। प्रमुख सचिव वन रमेश कुमार सुधांशु की ओर से बीते शुक्रवार को मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली 2024 की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल में हुई समीक्षा बैठक में वन्यजीवों से होने वाली क्षति के मामलों में दी जाने वाली मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी से संबंधित अधिसूचना शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, हादसे के 15 दिनों के भीतर मुआवजे की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। अधिसूचना के अनुसार जंगली हाथियों व भालू द्वारा भवनों को क्षति पहुंचने पर भी मुआवजा राशि दी जाएगी। इससे पहले इसका प्रविधान नहीं था।
जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान के मुआवजा प्रबंधन के लिए प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति गठित की जाएगी। इस समिति की निगरानी में 20-20 लाख रुपये की धनराशि सभी वन प्रभागों के खातों में भेजी जाएगी। यदि कोई संस्था इस निधि में दान करेगी, तो उसे आयकर अधिनियम तहत आयकर छूट मिलेगी। मुआवजे की राशि राज्य आपदा मोचन निधि और मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि से मिलेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाघ, गुलदार, हिम तेंदुआ, जंगली हाथी, तीनों प्रजाति के भालू, लकडबग्घा, मगरमच्छ, घड़ियाल, सांप, मधुमक्खी, ततैया, लंगूर, बंदर, जंगली सुअर, नील गाय, काकड़, सांभर और चीतल से क्षति पहुंचने की स्थिति में मुआवजे की राशि दी जाएगी। वहीं अगर मुआवजे के लालच में किसी ने अपने परिवार के सदस्य या अन्य व्यक्ति को जो बुजुर्ग, बीमार, विकलांग अथवा मानसिक रूप से असंतुलित हो, को जंगल में भेजा, तो उसे मुआवजा नहीं मिलेगा। मुआवजे का दावा अवैध पाए जाने की पुष्टि पर मुकदमा दर्ज किया जायेगा।