एक मई से हिन्दुस्तान में कोरोना संक्रमण के टीकाकरण अभियान को अधिक व्यापक बनाकर वैक्सीन लगवाने की उम्र की सीमा अब 18 वर्ष होने जा रही है। वर्तमान में अब तक यह उम्र सीमा 45 वर्ष थी। भारत सरकार की ओर से इस टीकाकरण अभियान को तीसरा चरण कहा जा सकता है।
टीकाकरण अभियान के प्रथम चरण में वरिष्ठ नागरिको को वैक्सीन लगाई गयी। वही एक अप्रैल से दूसरे चरण में 45 वर्ष तक के उम्र वाले नागरिको को टीकाकरण अभियान में शामिल किया गया। और अब 1 मई से तीसरे चरण में 18 वर्ष तक के नौजवानो को वैक्सीन लगाई जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह क्रांतिकारी निर्णय स्वागतयोग्य है।
18 वर्ष से अधिक आयु वालो को वैक्सीन लगवाने का निर्णय कुछ देर से लिया गया है,परन्तु इस विलंब के पीछे की वजहों को दरकिनार भी नहीं किया जा सकता है,और इस आयु वाले नौजवानो की जनसंख्या भी अन्य के मुकाबले बहुत अधिक है। हिन्दुस्तान की केंद्र सरकार विश्व की अन्य सरकारों की तुलना में कोरोना के इस भयानक युद्ध में अधिक सक्रियता के साथ लड़ने के अलावा भारतीय फार्मा उद्योग को भी मजबूती प्रदान कर रही है। किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से भारत में कुछ राज्य सरकार केंद्र सरकार के कोरोना खात्मे के मिशन को राजनितिक विरोधाभास से ग्रसित होकर नजअंदाज कर रही है।
कोरोना की इस गंभीर समस्या के मद्देनजर हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ण सक्रियता के साथ राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ लगातार बैठके कर रहे है। केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला इस महामारी में एक उम्मीद की किरण है। विशेषज्ञों का मानना है, कि जितना अधिक टीकाकरण होगा, उतना ही इस कोरोना वायरस को काबू किया जा सकता है। कोरोना संक्रमण के चलते की जा रही तमाम सख्ती के बाद भी नागरिको द्वारा बरती जा रही लापरवाही चिंताजनक है। इसलिए भारतीय जनमानस को कोरोना से डरने के बजाये उससे सावधान रहने की जरुरत है।