मानव समाज में न्याय उस व्यवस्था का प्रतीक है, जिसके द्वारा नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारो की रक्षा होती है, और समाज में मर्यादा भी बनी रहती है। लेकिन कई बार न्याय मिलने दशकों बीत जाते है। ओडिशा के मयूरभंज इलाके से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां उच्च न्यायलय ने 19 वर्षो से से जेल में बंद एक व्यक्ति को बेगुनाह करार दिया है।
19 वर्ष पूर्व सुनाई गयी थी आजीवन कारावास की सजा
जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2003 में पुलिस ने मयूरभंज जनपद के जसीपुरा थाना क्षेत्र के बलरामपुर गांव के निवासी हबिल सिंधु को काला जादू कर 3 लोगों की हत्या करने के आरोप में हिरासत में लिया था। उस समय जिला कोर्ट ने आरोपी सिंधु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
उच्च न्यायलय ने दोबारा जाँच करवाई
जिला कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद भी सिंधु ने हार नहीं मानी, और सिंधु ने जिला न्यायलय के निर्णय को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की। उच्च न्यायलय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकारी वकील द्वारा दोबारा जांच के आदेश दिए। हाई कोर्ट के आदेश पर सरकारी वकील ने सिंधु के खिलाफ दायर किये गए हत्या के मुकदमे के 32 पन्ने की दस्तावेजों को दोबारा गहनता से जांच की, और इसकी रिपोर्ट बनाकर उच्च न्यायलय के सामने प्रस्तुत किया।
सरकारी वकील की रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने तकरीबन दो दशक बाद हबिल सिंधु को तीन हत्याओं के केस में आरोपी को बेगुनाह करार दिया है। न्यायलय ने जेल में 19 वर्षो से सजा काट रहे हबिल सिंधु को सम्मान के साथ बरी करने के निर्देश दिए है। 19 साल बाद हाई कोर्ट के सामने सिंधु के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने पर निर्दोष साबित होने के बाद सिंधु काफी खुश है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हबिल सिंधु को जब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, तब उसकी उम्र लगभग 40 वर्ष थी। जेल से रिहा होने की खबर पर हाबिल सिंधु ने कहा, कि उसे न्यायलय के निर्णय से बेहद खुशी मिली है। 19 साल तक जेल में बिताये दिन काफी मुश्किल भरे थे। सिंधु ने कहा, कि अब वो गांव में जाकर कृषि का कार्य करेंगे।