
RSS प्रमुख मोहन भागवत,(फोटो साभार : @PTI_News)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को ‘आर्य युग विषय कोष विश्वकोश’ के विमोचन के अवसर पर कहा, कि प्राचीन काल में भारतीयों ने संस्कृति और विज्ञान का प्रचार करने के लिए दुनिया भर की यात्रा की, लेकिन कभी किसी पर विजय प्राप्त नहीं की और न ही किया धर्मांतरण किया।
मुंबई में रविवार, 19 अक्टूबर को आयोजित ‘आर्य युग विषय कोश विश्वकोश’ के लोकार्पण कार्यक्रम में RSS प्रमुख ने कहा, “यह हमारा कर्तव्य है कि हम ऐसे व्यक्ति की तरह बनें जिसके पास शस्त्र और शास्त्र दोनों हों – शक्ति और भक्ति दोनों ने करवट ली है। दुनिया भर के लोगों को अब यह एहसास हो गया है कि वे जिन रास्तों पर चले हैं, वे विनाश की ओर ले जाते हैं।
उन्होंने कहा, “वे हर रास्ता आजमाकर और अलग-अलग प्रयोग करके एक नया रास्ता खोज रहे है। भारत एक नया रास्ता पेश करता है और बुद्धिजीवियों को भारत से उम्मीदें है। हम जानते हैं कि सभी जुड़े हुए हैं और राहत पहुंचाना हमारा कर्तव्य है, लेकिन अगर कोई बाधा डालने की कोशिश करता है, तो हमारे पास शक्ति होनी चाहिए।”
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “हमारी शिक्षा भारतीय पद्धति से नहीं हुई। हमें मैकाले ज्ञान पद्धति से शिक्षा मिली। वे कहते हैं कि हमें उपनिवेश बनाया गया। हम भारतीय हैं, लेकिन अपने मन और बुद्धि में हम विदेशी बन गए। हमें उस विदेशी प्रभाव से खुद को पूरी तरह मुक्त करना होगा। तभी हम अपने ज्ञान, परंपरा तक पहुंच पाएंगे और उसके महत्व को समझ पाएंगे।”
आरएसएस प्रमुख ने कहा, कि दुनिया ने जो तरक्की की है तो हमें उनकी प्रगति का रहस्य समझना चाहिए और उसका मूल्यांकन करना चाहिए। उसमें जो अच्छा है उसे स्वीकार करना चाहिए और जो बेकार है उसे त्यागना चाहिए।
VIDEO | Mumbai: RSS chief Mohan Bhagwat at a book launch event says, "We have also studied, but not in the Indian knowledge system – rather in the MKS – Macaulay Knowledge System. Hence, our foundation of intellect is shaped by that education system. It is said that we are… pic.twitter.com/j7xTff0oL1
— Press Trust of India (@PTI_News) October 19, 2025
उन्होंने कहा, ‘‘कई आक्रमणकारी भारत आए और हमको लूटा, दास बनाया, लेकिन अंतिम आक्रमणकारियों ने हमारे मस्तिष्क को लूटा। हम अपनी ताकत ही भूल गए और यह भी भूल गए, कि हम दुनिया के साथ क्या साझा कर सकते है।’’ मोहन भागवत ने कहा, ‘‘आध्यात्मिक ज्ञान अब भी फल-फूल रहा है और आर्यवर्त के वंशज के तौर पर हमारे पास विज्ञान व अस्त्र-शस्त्र, शक्ति व सामर्थ्य, आस्था व ज्ञान है।”