भारतीय इतिहास का सबसे अलोकतांत्रिक काल का आरम्भ होता है। 25 जून 1975 को और अगले 21 महीने की अवधि तक लोकतांत्रिक भारत में आपातकाल की घोषणा कर दी जाती है।और इसकी शुरुवात होती है जब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर उस समय के राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी थी।
भारत देश में आपातकाल की घोषणा का सीधा अर्थ था कि सभी प्रकार के लोकतांत्रिक चुनाव अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिए गए थे। देश में रहने वाले नागरिको के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था यानी अब उनका जीवन सरकार के अधीन था। इसी का फायदा उठा कर भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी के द्वारा एक बड़े अभियान के तहत पुरुषो की उनकी सहमति के बिना जबरदस्ती नसबंदी करवाई गई। भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ बोलने वाले राजनीतिक विपक्षी पार्टियों के नेताओ को जेलों में बंद कर दिया गया था। सभी प्रकार की मानवीय अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध था।
आपातकाल के 45 वर्ष पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने वाले सेनानियों का बलिदान देश भूलेगा नहीं। उस अलोकतांत्रिक काल के समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया यातनाएं झेलीं । उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा।
आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था। उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा। pic.twitter.com/jlQVJQVrsX
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2020
वही इस अवसर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गांधी परिवार पर आरोप लगाया है। भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय 25 जून 1975 में लगाए गए आपातकाल को 45 वर्ष पूरे हो चुके है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक परिवार द्वारा सत्ता की लालसा में देश के जनतंत्र को आपातकाल में बदल दिया था। रातों रात सम्पूर्ण राष्ट्र को जेल बना दिया गया। अखबार, न्यायालय और राजनीतिक विरोधियों को गिरफ़्तार कर बोलने की आजादी को दबा दिया गया था।
On this day, 45 years ago one family’s greed for power led to the imposition of the Emergency. Overnight the nation was turned into a prison. The press, courts, free speech…all were trampled over. Atrocities were committed on the poor and downtrodden.
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2020
गौरतलब है कि 25 जून 1975 गर्मी की तपती दोपहर में भारतीय राजनीति में एक व्यकुलता की ऊमस दिखाई पड़ रही थी। इन सबका कारण था इलाहाबाद उच्च न्यायालय का वह निर्णय जिसमें तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को चुनाव में गड़बड़ करने का दोषी पाया गया और उन पर अगले छह सालो तक किसी प्रकार के सवैधानिक पद की नियुक्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस निर्णय को स्वीकार करने से मना कर दिया और फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा के साथ ही 26 जून 1975 को आपातकाल जैसे काले कानून को सम्पूर्ण भारत में लागू करने की घोषणा कर दी गई।
https://youtu.be/RLpqzwfjuGo