विपक्षी पार्टियों द्वारा विशेषकर कांग्रेस के “अघोषित आपातकाल” के आरोपों पर तीक्ष्ण प्रहार करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में कहा, इमरजेंसी के वक्त जब उन्हें जेल में डाला गया था, उस समय उनकी माँ को ब्रेन हैमरेज हो गया था और 27 दिन बाद उनका अस्पताल में निधन हो गया। इस दौरान प्रशासन ने न तो उन्हें माँ से मिलने का मौका दिया और न ही अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोई परोल दी।
उल्लेखनीय है, कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ आपातकाल में जो कुछ भी घटित हुआ, उसकी चर्चा अब हर जगह हो रही है। ANI पॉडकॉस्ट में वरिष्ठ पत्रकार स्मिता प्रकाश से विशेष बातचीत के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई थी, वे लोग हम पर तानाशाही का आरोप लगाते हैं।
ऑपइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजनाथ सिंह के जेल जाने की घटना 12 जुलाई 1975 की है। वह उस समय मिर्जापुर में शिक्षक थे। जब कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया, तो उनको मीसा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया। इस कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की अनुमति नहीं थी और चूँकि राजनाथ सिंह संघ के वरिष्ठ नेताओं में एक थे, तो उनके मामले में प्रशासन अतिरिक्त सख्ती बरत रहा था।
प्रशासन ने शुरू में राजनाथ सिंह को मिर्जापुर जेल में कैद रखा, लेकिन बाद में उन्हें इलाहाबाद नैनी जेल में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया। जब उन्हें जेल में शिफ्ट करने के लिए रेलवे स्टेशन लाया गया, तो स्टेशन पर उनकी धर्मपत्नी और माताजी भागते हुए उन्हें देखने आए। इस दौरान स्टेशन पर राजनाथ सिंह के लिए नारे लग रहे थे, इसलिए माँ ने जो कहा, वे उसे सही से नहीं सुन पाए, मगर जो उन्होंने सुना उसका जिक्र राजनाथ सिंह की जीवनी पर लिखी गई किताब में मिलता है।
इस किताब के लेखक गौतम चिंतामणि ने उल्लेख किया है उसके अनुसार, नैनी जेल ले जाने के दौरान मिर्जापुर स्टेशन पर पुलिसकर्मी राजनाथ सिंह को जल्दी-जल्दी ट्रेन में बैठाने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उनकी माँ ने उनसे कहा था, “बबुआ। माफी नहीं माँगना। चाहे उम्र भर काल-कोठरी में क्यों न कट जाए। कभी सिर मत झुकाना।”
अपने पुत्र को जेल जाते हुए जब माँ ने ऐसे शब्द कहे, तो राजनाथ सिंह भावुक हो गए। उस वक्त उन्हें इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं था, कि उनकी माँ से यह अंतिम मुलाकात है। कुछ समय बाद उन्हें ज्ञात हुआ, कि माँ को ब्रेन हैमरेज हो गया है, फिर उनके निधन की सूचना आई। राजनाथ सिंह ने कहा,”मुझे जेल से रिहा नहीं किया गया और मुझे पैरोल नहीं मिली। उन्होंने बताया, कि मैंने जेल में ही सर मुंडवाया और उनका अंतिम संस्कार मेरे भाइयों द्वारा किया गया।