उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, (फोटो साभार : दैनिक जागरण)
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस 2025 मुख्य परीक्षा को फिलहाल स्थगित कर दिया है। आयोग ने यह निर्णय उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा चार दिसंबर को पारित आदेश के बाद लिया है। आयोग द्वारा 7 मई 2025 को जारी विज्ञापन और फिर 6 दिसंबर से 9 दिसंबर 2025 तक प्रस्तावित मुख्य परीक्षा को अगले आदेश तक रोक दिया गया है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2025 की प्रस्तावित मुख्य परीक्षा पर रोक लगा दी थी। यह परीक्षा छह और नौ दिसंबर को आयोजित होनी थी। यह रोक प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए गलत प्रश्नों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद लगाई गई है। अब आयोग ने भी परीक्षा स्थगित कर दी है।
सचिव अशोक कुमार पाण्डेय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश के क्रम में लोक सेवा आयोग ने पीसीएस मुख्य परीक्षा को स्थगित कर दिया है। नई परीक्षा तिथियों की जानकारी आयोग की वेबसाइट पर अलग से जारी की जाएगी।
उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग (यूकेपीसीएस) की 6 से 9 दिसंबर के बीच प्रस्तावित मुख्य परीक्षा स्थगित की गई है। pic.twitter.com/Y1V718EDtu
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) December 5, 2025
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीसीएस मुख्य परीक्षा को स्थगित करने के खिलाफ उत्तराखंड लोक सेवा आयोग सुप्रीम कोर्ट की शरण ले सकता है। जिसके बाद आयोग ने लीगल सेल से सुझाव मांगा है। उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2025 की प्रक्रिया काफी समय से चल रही थी।
हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद अब नई मेरिट सूची जारी होने के बाद ही आयोग आगे की प्रक्रिया तय कर पाएगा, लेकिन इस मामले में फिलहाल लोक सेवा आयोग ने कानूनी सलाह लेने का फैसला किया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस निर्देश के खिलाफ अपील करने पर भी विचार किया जा रहा है।
दरअसल, प्रारंभिक परीक्षा में गलत प्रश्न पूछे जाने के मामले पर दायर याचिका के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आगामी परीक्षा पर रोक लगाई है। बता दें, कि हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को निर्देश दिए हैं, कि वह सामान्य अध्ययन विषय के एक गलत प्रश्न को हटाकर प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी करे।
इसके अलावा वर्ष 2022 के रेगुलेशन के अनुसार नई मेरिट सूची जारी की जाए। इस मामले में कुलदीप कुमार सहित अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों को चुनौती दी थी।
यह परीक्षा डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, वित्त अधिकारी-कोषाधिकारी, सहायक आयुक्त राज्य कर, राज्य कर अधिकारी, सहायक नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित 120 से अधिक पदों के लिए आयोजित की गई थी। 8 अक्टूबर को जारी भर्ती परीक्षा परिणाम में करीब 1200 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था।
हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया, कि प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन का एक प्रश्न गलत तरीके से बनाया गया था, जिससे परिणाम प्रभावित हुआ। लोक सेवा आयोग ने भी कोर्ट में स्वीकार किया, कि सामान्य अध्ययन का एक सवाल गलत था जिसे हटाया जाना चाहिए था। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आयोग की प्रस्तावित मुख्य परीक्षा पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ता द्वारा तीन अन्य प्रश्नों और उनके विकल्पों को भी गलत बताया गया था। इस पर उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा, कि प्रश्न संख्या 70 को पूरी तरह से हटाया जाए। जबकि, शेष तीन विवादित प्रश्नों की जांच एक विशेषज्ञ समिति से कराई जाए।
कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा, कि जब तक इन प्रश्नों की निष्पक्ष जांच पूरी नहीं हो जाती और मेरिट सूची को सही ढंग से दोबारा तय नहीं किया जाता, तब तक मुख्य परीक्षा कराना उचित नहीं होगा।

