शीतकाल के लिए बंद हुए श्री बदरीनाथ धाम के कपाट, (फोटो साभार: X@airnews_ddn)
विश्वप्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार (25 नवंबर 2025) को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है। इसके साथ ही आज चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया। श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद के अवसर पर मंदिर को दस क्विंटल फूलों से सजाया गया। जबकि बीते सोमवार को बदरीनाथ मंदिर में पंच पूजाओं के तहत माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का आयोजन किया गया।
जानकारी के अनुसार, भू-बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट देव पूजा के लिए शीतकाल के लिए दोपहर ठीक दो बजकर 56 मिनट पर बंद कर दिये गये। आज प्रातः चार बजे से शुरू हुआ पुष्प शृंगार महा अभिषेक पूजन, बाल भोग, राजभोग का समय सुबह नौ बजे तक संपादित हुआ। बदरीनाथ धाम में रावल द्वारा लक्ष्मी मां को गर्भ गृह में स्थापित कर घृत कंबल ओढ़ाया गया।
श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट पंचांग गणना के अनुसार विधि विधान से आज 2 बजकर 56 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। जिसके बाद श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी और आदि गुरु शंकराचार्य जी की डोली शीतकालीन गद्दी स्थल के लिए भक्तों के साथ रवाना हो गई हैं।#Badrinath#Chamoli#Uttarakhand pic.twitter.com/ckTvPJPyES
— DIPR Chamoli_Badrinath (@DIOChamoli) November 25, 2025
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरी विशाल की उत्सव मूर्ति को ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) स्थित नृसिंह मंदिर में विराजमान किया जाता है। शीतकाल के दौरान इसी उत्सव मूर्ति की ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में पूजा होती है। जबकि भगवान उद्धव और कुबेर जी की मूर्ति पांडुकेश्वर स्थित योगध्यान बदरी मंदिर में विराजते है।
बीते सोमवार को मंदिर में माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का आयोजन किया गया। बदरीनाथ के मुख्य पुजारी (रावल) अमरनाथ नंबूदरी द्वारा पारंपरिक अनुष्ठान के तहत माता लक्ष्मी को शीतकालीन प्रवास के लिए बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने का विशेष आमंत्रण दिया। बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद छह माह तक माता लक्ष्मी मंदिर परिक्रमा स्थल पर स्थित मंदिर में विराजमान रहती हैं।

