भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी लगभग बीस वर्षो बाद बुधवार को अपने पैतृक गांव ल्वाली पहुंचे। इस दौरान कैप्टन कूल ने पत्नी साक्षी संग पैतृक गांव के मंदिरों में ईष्ट देवताओं की पूजा-अर्चना की और वनडे वर्ल्डकप में भारतीय टीम की जीत की कामना की। इसके साथी माही ने बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हुए युवाओं को क्रिकेट के टिप्स देते हुए करीब ढाई घंटे गांव में बिताए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, महेंद्र सिंह धोनी निजी कार्यक्रम के तहत जैंती तहसील मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर स्थित अपने पैतृक गांव ल्वाली पहुंचे। बचपन में गांव के इसी पुश्तैनी घर के आंगन में धोनी ने क्रिकेट खेलना सीखा था। घर का आंगन ही उनके लिए क्रिकेट की पिच हुआ करती थी। माही गांव के बच्चों के साथ कपड़े के गेंद से क्रिकेट खेला करते थे।
पैतृक गांव पहुंचे महेंद्र सिंह धोनी #MSDhoni𓃵 pic.twitter.com/cWXOxIaKOI
— Rajat Gupta (@Rajatgupta199) November 16, 2023
बुधवार को 20 साल बाद धोनी अपने पुश्तैनी घर पहुंचे तो उन्हें बचपन की स्मृतियाँ ताजा हो आई। पैतृक आवास में समय व्यतीत करने के बाद धोनी ने गांव में स्थित गोल्यूज, हरज्यू व अपनी कुलदेवी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर पितरो का आशीर्वाद लिया। इस दौरान महेंद्र सिंह धोनी के साथ उनके सगे-संबधियो व स्थानीय ग्रामीणों ने सेल्फी ली। महेंद्र सिंह धोनी इससे पहले साल 2003 में अपने पैतृक गांव आए थे।
उल्लेखनीय है, कि महेंद्र सिंह धोनी अल्मोड़ा जिले में स्थित ल्वाली के मूल निवासी है। क्रिकेट की दुनिया में व्यस्तता के चलते धोनी कभी अपने पैतृक गांव नहीं आ पाए। अब महेंद्र सिंह धोनी परिवार संग उत्तराखंड भ्रमण पर पहुंचे है। गांव में मिले मान-सम्मान और प्रेम से धोनी और उनकी पत्नी साक्षी बेहद खुश दिखी। हालाँकि सड़क के अभाव के कारण धौनी पुत्री को गांव नहीं ला पाए, माही ने दो-तीन साल बाद बेटी को गांव लाने की इच्छा व्यक्त की है।