
145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन,(फोटो साभार : X@ANI)
लोकसभा के सांसदों ने सोमवार (21 जुलाई 2025) को जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक ज्ञापन सौंपा। इसके साथ ही कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ संसद में महाभियोग चलाने की कार्यवाही शुरू हो गई है।
लोकसभा में 145 सांसदों ने एक साथ मिलकर संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 145 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालो में कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस, जन सेना पार्टी, एजीपी, शिवसेना (शिंदे), एलजेएसपी, एसकेपी, सीपीएम समेत अन्य राजनीतिक दलों के सांसद शामिल है।
Members of Parliament today submitted a memorandum to the Lok Sabha Speaker to remove Justice Yashwant Varma. 145 Lok Sabha members signed the impeachment motion against Justice Verma under Articles 124, 217, and 218 of the Constitution.
MPs from various parties, including… pic.twitter.com/6YTB8Kqse8
— ANI (@ANI) July 21, 2025
बता दें, कि न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत प्रक्रिया तय की गई है। लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। अगर लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति दोनों नोटिस को स्वीकार करते हैं, तो एक जांच समिति बनाई जाती है।
इस समिति में एक वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट जज, एक हाई कोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश और एक प्रख्यात कानून विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह समिति तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट संसद को सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर संसद में चर्चा होगी और फिर मतदान के बाद निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है, कि मार्च 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट में तैनात जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लग गई थी। मौके पर आग बुझाने पहुंचे फायर ब्रिगेड की टीम और पुलिस को वहां प्लास्टिक की थैलियों में बड़ी मात्रा में अधजली नोटों की गड्डियाँ मिली थी। हालांकि न्यायमूर्ति वर्मा ने किसी भी गलत काम से साफ इंकार किया है।
वहीं जांच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है, कि जिस कमरे में नकदी मिली, उस पर न्यायाधीश और उनके परिजनों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की एक तीन-सदस्यीय जांच समिति ने उन्हें दोषी पाया। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी। इसके बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया था।