
सिंधु जल समझौता, प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार : X@Live_Hindustan)
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को खत्म किये जाने के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की थी। बीती 11 अगस्त को अदालत ने सिंधु जल संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए बहने देने का निर्देश दिया था। हालांकि भारत ने स्पष्ट कह दिया है, कि इस फैसले का उसके लिए कोई मतलब नहीं है।
जानकारी के अनुसार, स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने फैसले में कहा, कि भारत को सिंधु जल संधि का पालन करना होगा और पश्चिमी नदियों के प्रवाह को पाकिस्तान में जाने देना होगा। वहीं भारत ने हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है। भारत ने जवाब देते हुए कहा, कि वह इस मामले में न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता और संधि को बहाल करने से इंकार करता है।
अंतरराष्ट्रीय स्थायी मध्यस्थता अदालत (PCA) के फैसले को पाकिस्तान की आवाम अपनी बड़ी जीत मानकर जश्न मना रही हैं। शाहबाज शरीफ और आसिम मुनीर इसे भारत के खिलाफ कूटनीतिक कामयाबी बता रहे हैं, क्योंकि कोर्ट ने कहा कि भारत एकतरफा इस समझौते को नहीं रोक सकता। साथ ही पाकिस्तानी हुक्मरान भारत को मिसाइल हमले जैसी गीदड़भभकियाँ भी दे रहे है।
दरअसल, वर्ष 1960 के सिंधु जल समझौते के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को मिलता है, लेकिन भारत ने पहलगाम जिहादी हमले के बाद इस समझौते को स्थगित कर दिया था। अब पाकिस्तानी अदालत के फैसले को अपनी जीत बताकर पेश कर रहे हैं। हालांकि भारत ने साफ कह दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय कार्रवाई नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी।
भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा है, कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता, वह इस समझौते को मानने के लिए बाध्य नहीं है। साथ ही भारत ने चिनाब नदी पर नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है। भारत के एक्शन के बाद पाकिस्तान में बौखलाहट है और उसे डर है, कि भारत इन नदियों का पानी रोक सकता है, जिससे उसके मुल्क में पानी की सप्लाई पर बुरा असर पड़ेगा।
बता दें, कि स्थाई मध्यस्थता अदालत (PCA) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो 1899 में हेग, नीदरलैंड्स में स्थापित हुई थी। यह देशों, संगठनों और निजी पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता और वैश्विक मंच प्रदान करती है। यह कोई पारंपरिक कोर्ट नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है, जो विवादों के लिए तटस्थ विशेषज्ञों की नियुक्ति करता है। इसका इस्तेमाल अक्सर अंतरराष्ट्रीय संधियों से जुड़े मामलों में होता है।